Sanjauli Mosque Dispute: हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. मस्जिद को लेकर कई हिंदू संगठन विरोध कर रहे हैं और लोग अब सड़क पर भी उतर गए हैं. वहीं दूसरी तरफ अब हिमाचल विधानसभा में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही है. इसी कड़ी में अब कांग्रेस के मंत्री ने भी इस पर बयान दे दिया और कहा कि मस्जिद अगर अवैध है तो इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. उधर ओवैसी ने भी इसको लेकर हिमाचल सरकार पर हमला बोला है.


मस्जिद को गिराने की मांग


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असल में कई हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने गुरुवार को विधानसभा के पास चौड़ा मैदान में विरोध प्रदर्शन किया और संजौली स्थित मस्जिद को गिराने की मांग की है. देव भूमि क्षेत्रीय संगठन के अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर ने लोगों से शिमला में इकट्ठा होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि राज्यभर के लोगों ने उनके आह्वान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और ‘सनातन एकता’ का प्रदर्शन किया. 


क्या है पूरा मामला?


हुआ यह था कि मलाणा क्षेत्र में एक सितंबर को एक व्यवसायी पर कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने हमला कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप गुरुवार को यह प्रदर्शन किया गया. घटना के तुरंत बाद लोग संजौली के बाहर मलाणा क्षेत्र में इकट्ठा हुए और वहां एक मस्जिद को गिराने की मांग की. पूरा मामला यहीं से शुरू ही हुआ था. इस मारपीट के बाद से आरोप लगा कि वारदात को अंजाम देकर कई आरोपी इस मस्जिद में छिप गए. जिसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही. देखते ही देखते ये मामला और तूल पकड़ लिया.


क्या बोले मुख्यमंत्री?


उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि राज्य के सभी निवासियों के समान अधिकार हैं और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसी बीच राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है और मामला पिछले 14 वर्षों से न्यायालय में विचाराधीन है. 


लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि किसी भी अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी. उन्होंने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और जो भी कार्रवाई की जाएगी, वह कानून के मापदंडों के तहत होगी, चाहे वह नगर निगम द्वारा की जाए या पुलिस द्वारा.