नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सोमवार को असम से राज्य सभा के लिए निर्विरोध चुने गए हैं. असम से इस सीट के लिए सोनोवाल एकमात्र उम्मीदवार थे और नाम वापस लेने के आखिरी दिन निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें संसद के उच्च सदन के लिए निर्वाचित घोषित कर दिया. उधर बीजेपी के प्रत्याशी के नाम वापस लेने के बाद कांग्रेस की रजनी पाटिल का महाराष्ट्र से राज्य सभा के लिए चुना जाना तय हो गया है.


असम की 3 सीटों पर कब्जा


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इसके साथ, असम से राज्य सभा में सत्ताधारी बीजेपी की सीटों की संख्या बढ़कर तीन हो गई जबकि उसके सहयोगी असम गण परिषद के पास राज्य सभा की एक सीट है. असम में राज्य सभा की कुल सात सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें कांग्रेस के पास हैं और एक सीट पर निर्दलीय सदस्य है.


सोनोवाल ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भबेश कालिता के साथ दोपहर में राज्य विधान सभा परिसर से निर्वाचन अधिकारी से चुनाव प्रमाण पत्र लिया. इसके बाद सोनोवाल ने कहा कि वह राज्य और लोगों की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री समेत बीजेपी नेतृत्व को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. 


मंत्री पद के बाद अब बने सांसद!


सोनोवाल (59) को जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में बंदरगाह, जहाजरानी और आयुष मंत्री के रूप में शामिल किया गया था. इससे उनका सांसद बनना जरूरी हो गया था. पूर्व मुख्यमंत्री सोनोवाल ने जिस सीट के लिए अपना पर्चा दाखिल किया था, वह असम विधान सभा अध्यक्ष बिस्वजीत डेमरी के उच्च सदन से इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थी. डेमरी ने विधानसभा चुनाव में निर्वाचित होने के बाद उच्च सदन से इस्तीफा दिया था.


सोनोवाल भी मई में लगातार दूसरी बार माजुली से विधान सभा के लिए चुने गए थे, लेकिन हिमंत बिस्व सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद वे नई दिल्ली लौट गए. विपक्षी दलों ने राज्य सभा सीट के लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया था क्योंकि उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था. 126 सदस्यीय असम विधान सभा में, सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 60 विधायक हैं. सोनोवाल के राज्य सभा के लिए निर्वाचित होने के बाद यह संख्या घटकर 59 रह जाएगी. बीजेपी की सहयोगी अगप के पास 9 और यूपीपीएल के पांच विधायक हैं.


बीजेपी ने वापस लिया प्रत्याशी


उधर, महाराष्ट्र में राज्य सभा उपचुनाव से पहले बीजेपी ने सोमवार को अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है जिसके बाद कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रजनी पाटिल का उच्च सदन के लिये निर्विरोध चुना जाना तय है. मई में कांग्रेस सांसद राजीव सातव के निधन के बाद इस सीट पर उप चुनाव कराना जरूरी हो गया था. उच्च सदन में उनका कार्यकाल दो अप्रैल 2026 तक था.


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अगले महीने की चार तारीख को होने वाले उप चुनाव के लिये पर्चा वापस लेने की आखिरी तारीख 27 सितंबर थी. बीजेपी ने इस उप चुनाव के लिये संजय उपाध्याय को मैदान में उतारा था और अब चुनाव मैदान से उन्हें हटा लिया गया है. इसके बाद पाटिल (62) के निर्विरोध चुने जाने का रास्ता खुल गया है. इस सीट के लिए दो ही उम्मीदवार मैदान में थे.


कांग्रेस ने मांगी थी मदद


संजय उपाध्याय ने कहा कि राज्य में कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी से उम्मीदवार वापस लेने की अपील की थी ताकि कांग्रेस प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो सकें. उन्होंने कहा, ‘पार्टी के निर्देश पर मैंने अपना पर्चा वापस ले लिया है, मेरी उम्मीदवारी वापस लिये जाने का फैसला प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में किया गया.' 


पिछले सप्ताह महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और मंत्री बालासाहेब थोराट ने विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर पाटिल के निर्विरोध निर्वाचन की राह बनाने का आग्रह किया था. महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सदस्य हैं जिनमें से भारतीय जनता पार्टी के पाास 106 सीटें हैं. पाटिल प्रदेश में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी की उम्मीदवार हैं, जिसकी अगुवाई शिवसेना कर रही है.