विदेशियों की हज यात्रा को लेकर सऊदी अरब ने पलटा फैसला, सिर्फ इन्हें मिलेगी मंजूरी
दुनिया में फैले कोरोना संक्रमण को देखते हुए सऊदी अरब सरकार ने करीब 3 महीने पहले विदेशी मुसलमानों के हज पर रोक लगाने की घोषणा की थी. सऊदी अरब के राजशाही इतिहास में यह पहली बार हुआ.
नई दिल्ली: सऊदी अरब (Saudi Arabia) ने अपना पुराना फैसला पलटते हुए 1 हजार विदेशियों को हज (Haj pilgrimage) करने की मंजूरी दे दी है. हालांकि यह मंजूरी उन्हीं विदेशियों को दी गई है जो फिलहाल सऊदी अरब में रह रहे हैं. दुनिया के बाकी हिस्सों में रह रहे विदेशी मुसलमान इस साल हज नहीं कर सकेंगे. उन्हें मक्का-मदीना आने के लिए अगले साल का इंतजार करना होगा.
बता दें कि दुनिया में फैले कोरोना (coronavirus) संक्रमण को देखते हुए सऊदी अरब सरकार ने करीब 3 महीने पहले विदेशी मुसलमानों के हज पर रोक लगाने की घोषणा की थी. सऊदी अरब के राजशाही इतिहास में यह पहली बार हुआ. जब विदेशी मुसलमानों को मक्का-मदीना में हज करने की अनुमति नहीं दी गई. इस फैसले के बाद दुनिया भर में फैले मुसलमानों ने निराशा जाहिर की थी. जबकि कई तरक्की पसंद मुसलमानों ने कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए इस फैसले का समर्थन किया था. अब लोगों के दबाव में सऊदी सरकार ने अपने पुराने फैसले में बदलाव करते हुए एक हजार विदेशी मुसलमानों को हज करने की मंजूरी दे दी है. हालांकि इस फैसले का फायदा सऊदी अरब में रह रहे विदेशी मुसलमानों को ही मिलेगा. यह संख्या सालाना हज करने वाले 25 लाख मुसलमानों की तुलना में बेहद कम है.
31 जुलाई से हज यात्रा
इस साल 31 जुलाई से हज यात्रा शुरू होने जा रही है. ऐसे में इन एक हजार विदेशी मुसलमानों का चयन कैसे होगा. यह अभी बड़ा सवाल बना हुआ है. सऊदी अरब के हज मंत्री मोहम्मद बेनतेन ने रियाद में कहा कि हाजियों की संख्या एक हजार के आसपास ही रहेगी. यह उससे थोड़ी कम भी हो सकती है और थोड़ी ज्यादा भी. लेकिन यह सैकड़ों या हजारों में बिल्कुल नहीं रहेगी. सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री तौफीक अल रबीह ने कहा कि इस बार हज के लिए केवल उन लोगों को ही अनुमति मिलेगी. जिनकी उम्र 65 साल से कम होगी और उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होगी. चयनित होने वाले लोगों का मक्का पहुंचते ही कोरोना वायरस का टेस्ट होगा. हज करने के बाद उन लोगों को अपने घर पर जाकर क्वारंटीन पीरियड भी पूरा करना होगा.
जानकारी के मुताबिक विदेशी मुसलमानों को हज की मंजूरी देने के लिए दुनिया के दूसरे मुस्लिम देशों ने दबाव बनाया था. उन देशों के मुताबिक हज करना इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है. ऐसे में हज पर बैन लगाने से लाखों मुसलमान इस्लाम के इस फर्ज को पूरा करने से वंचित रह सकते हैं.
सऊदी अरब सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है. जब वहां पर कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहां पर कोरोना संक्रमण के 1 लाख 61 हजार मामले सामने आ चुके हैं और 13 सौ लोगों की मौत हो चुकी है. यह खाड़ी के देशों में कोरोना का सबसे ऊंचा स्तर है.
ये भी पढ़ें- रूस ने आम लोगों के लिए नहीं 'खास' लोगों के लिए बनाई वैक्सीन
सरकार को भारी आर्थिक नुकसान
खास बात ये है कि हर साल होने वाली हज यात्रा सऊदी अरब के लिए राजस्व अर्जन का बड़ा साधन रही है. ऐसे में हज यात्रा सीमित किए जाने से सऊदी अरब सरकार को भारी आर्थिक नुकसान उठाना होगा. यह सऊदी सरकार के लिए दूसरा झटका होगा. इससे पहले पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंच जाने से सऊदी अरब बड़ा नुकसान झेल रहा है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी सरकार ने इस साल मार्च में उमराह तीर्थयात्रा को भी निलंबित कर दिया था. ये उमराह और हज मिलाकर हर साल सऊदी अर्थव्यवस्था में 12 बिलियन अमरीकी डालर का योगदान देते हैं. इसीलिए हज की मेजबानी करना वर्षों से सऊदी शासकों के लिए प्रतिष्ठा का विषय रहा है. ऐसा करने से सऊदी सरकार का खजाना तो भरता ही है. साथ ही इस्लाम के संरक्षक के रूप में सऊदी अरब के वैश्विक प्रभाव में भी बढ़ोतरी होती जाती है.
ये भी देखें-