Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग जैसी संरचना का फिलहाल वैज्ञानिक परीक्षण नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने कथित शिवलिंग की प्राचीनता का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक परीक्षण की इजाजत दी थी. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की गहन समीक्षा की जरूरत है. लिहाजा हम अगले आदेश तक इस पर रोक लगा रहे हैं. शीर्ष कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर केन्द्र, यूपी सरकार और हिन्दू पक्षकारों को नोटिस जारी किया है.


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यूपी सरकार का रुख


यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट के आदेश को बारीकी से देखना चाहिए. सर्वे से पहले हर तरह के विकल्प पर विचार होना चाहिए ताकि परिसर के अंदर उस सरंचना का कोई नुकसान न हो जिसे हिंदू पक्ष शिवलिंग और दूसरा पक्ष फव्वारा बता रहा है.


हिंदू पक्ष की दलील


हिन्दू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ASI अपनी रिपोर्ट में यह साफ कर चुका है कि अगर उस जगह का वैज्ञानिक सर्वे होता है तो शिवलिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. जैन ने कोर्ट से आग्रह किया कि कोर्ट एएसआई की रिपोर्ट को भी तलब करें.


हम सावधानी से आगे बढ़ेंगे-CJI


चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें एएसआई (ASI) की रिपोर्ट देखने से हमे हर्ज नहीं है, लेकिन यूपी और केन्द्र सरकार को इस पर अपना रुख साफ करने दीजिए. सरकार खुद भी ASI से मशवरा करेगी. उन्हें विकल्पों पर विचार करने दीजिए. ये इस तरह का संजीदा मसला है, जहां हमें बड़ी सावधानी से आगे बढ़ना होता है. चीफ जस्टिस ने मुस्लिम पक्ष के वकील से भी कहा कि वो हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपने ऐतराज अगली सुनवाई में रखें.


मुस्लिम पक्ष को ऐतराज क्यों


इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अर्जी में मस्जिद कमेटी ने कहा है कि पिछले साल 17 मई को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने परिसर के अंदर की विवादित संरचना को संरक्षित रखने का आदेश दिया था. इस लिहाज से इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश उसकी अवहेलना है. मस्जिद कमेटी का कहना है कि ASI की जिस 52 पेज  की रिपोर्ट को वैज्ञानिक परीक्षण की इजाजत देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधार बनाया है, वो दरसअल अपने आप में कोई ठोस रिपोर्ट नहीं है. बल्कि एक्सपर्ट की राय का संकलन है. उस रिपोर्ट में साफ तौर पर नहीं कहा गया है कि परीक्षण होने की सूरत में विवादित जगह को नुकसान नहीं होगा. कमेटी का ये भी कहना है कि ये एक  संजीदा मसला है, जिस तरह का साम्प्रदयिक रंग देने की इसे कोशिश हुई है, वैसी सूरत में वैज्ञानिक परीक्षण के इस आदेश से माहौल बिगड़ सकता है.