Red Fort पर हमले के दोषी आरिफ की फांसी की सजा बरकरार, SC में पुनर्विचार याचिका खारिज
Mohammad Arif Death Sentence: मोहम्मद आरिफ (Mohammad Arif) उर्फ अशफाक लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी है. आरिफ लाल किले (Red Fort) पर साल 2000 में किए गए हमले का दोषी है.
Red Fort Attack Case: साल 2000 में लाल किले पर हुए हमले के दोषी लश्कर-ए-तैयबा के आंतकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने सजा के खिलाफ आरिफ की पुनर्विचार अर्जी खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में आरिफ पर आरोप साबित हो चुका है. हम फांसी की सजा को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार अर्जी को खारिज कर रहे हैं.
साल 2011 में SC से फांसी की सजा
बता दें कि दिसंबर 2000 में लाल किले पर हुए हमले में आर्मी जवान समेत तीन लोग मारे गए थे. 25 दिसंबर 2000 को आरिफ को गिरफ्तार कर लिया गया था. निचली अदालत ने अक्टूबर 2005 में उसे फांसी की सजा मुकर्रर की. साल 2007 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. इसके बाद साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. आरिफ ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार अर्जी और क्यूरेटिव याचिका दाखिल की. लेकिन ये अर्जियां भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दीं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लाल किले पर हमला विदेशियों द्वारा देश की एकता, अंखडता और संप्रभुता पर हमला था.
पुर्नविचार अर्जी पर ओपन कोर्ट में सुनवाई
हालांकि साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की पुनर्विचार अर्जी को फिर से ओपन कोर्ट में सुनने का फैसला लिया. इसकी वजह सिंतंबर 2014 में दिया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला बना. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि फांसी की सजा पाए दोषियों की पुनर्विचार अर्जी ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए. साल 2014 से पहले ऐसे मामलों में पुनर्विचार अर्जी चैम्बर में ही सुनी जाती थी. आरिफ ने इस फैसले के आधार पर अपनी पुनर्विचार अर्जी को ओपन कोर्ट में सुने जाने की मांग की थी.
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