EWS कोटा और मुस्लिम SBEC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, ये है पूरा मामला
EWS Quota Muslim SBEC Reservation: मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दाखिले और नौकरी में दस फीसदी आरक्षण देने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा. कोर्ट ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने संबंधी हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने से पहले यह बात कही.
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ईडब्ल्यूएस कोटा और मुस्लिम एसबीईसी आरक्षण की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों पर सुनवाई करेगी. 6 सितंबर को कोर्ट इसकी रूपरेखा तय करेगा और फिर 13 सितंबर से संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी.
हालांकि मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दाखिले और नौकरी में दस फीसदी आरक्षण देने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा. कोर्ट ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने संबंधी हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने से पहले यह बात कही.
केंद्र ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दाखिलों और लोक सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान जोड़ा था. सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था.
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रविंद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पांच सदस्यों वाली बेंच ने कहा कि वह प्रक्रियागत पहलुओं और अन्य ब्योरों पर छह सितंबर को फैसला लेगी और 13 सितंबर से याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने चार अलग-अलग मतों वाले फैसले में ‘स्टेट टू मुस्लिम कम्युनिटी अधिनियम’ 2005 के तहत इन प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया था. संवैधानिक पीठ ने चार वकीलों शादान फरासत, नचिकेता जोशी, महफूज नजकी और कनू अग्रवाल को नोडल अधिवक्ता के तौर पर काम करने के लिए कहा है. मुस्लिम एसबीईसी आरक्षण से संबंधित मामला 2005 की दीवानी अपील है, जो यह मुद्दा उठाता है कि क्या मुसलमानों को एक समुदाय के तौर पर संविधान के आर्टिकल 15 और 16 के तहत शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा घोषित किया जा सकता है.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)
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