नई दिल्ली: प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर यशपाल का निधन हो गया है. प्रोफ़ेसर यशपाल लंबे समय से बीमार थे उनका निधन नोएडा में मंगलार को हुआ.  उन्हें 1976 में पद्मभूषण सम्मान मिला था और 2013 में पद्मविभूषण मिला था. प्रोफेसर यशपाल ने अपना करियर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से शुरू किया था.


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जेएनयू के चांसलर भी रहे यशपाल


1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया गया. 1983-84 में वे प्लानिंग कमीशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे. 1986 से 1991 तक यूजीसी के चेयरमैन रहे थे. 1993 में बच्चों की शिक्षा में ओबरबर्डन के मुद्दे पर भारत सरकार ने यशपाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. कमेटी ने लर्निंग विथाउट बर्डन नाम से रिपोर्ट दी. 2007 से 2012 तक जेएनयू के चांसलर रहे थे. यशपाल दूरदर्शन पर टर्निंग पाइंट नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे. 


हरियाणा के कैथल में हुई परवरिश


26 नवंबर, 1926 को झांग (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर) में जन्मे यशपाल की परवरिश हरियाणा के कैथल में हुई. यशपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1949 में फिजिक्स में मास्टर्स किया और 1958 में उन्होंने मैसेचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी से फिजिक्स में ही पीएचडी की उपाधि हासिल की.


पीएम ने जताया शोक


उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘प्रोफेसर यश पाल के निधन से दुखी हूं। हमने एक वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद खो दिया जिन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना बहमूल्य योगदान दिया है.'’  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने ट्वीट किया, ‘‘पूर्ण विज्ञान के लिए प्रोफेसर यशपाल आपका शुक्रिया. आपको जाता देखना काफी दुखद है, यह बेहद बड़ी क्षति है लेकिन आप हमेशा हमारे साथ रहेंगे. ओम शांति.’’ 


प्रोफेसर यशपाल का निधन हमारे लिए एक बड़ी क्षति : राहुल


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनके निधन पर शोक जाहिर करते हुए कहा कि कॉस्मिक किरणों के अध्ययन , शिक्षा संस्था निर्माण और उल्लेखनीय प्रशासक के तौर पर उनके विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें याद किया जाएगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने शिक्षाविद के निधन को एक बड़ी क्षति बताया. राहुल ने ट्वीट किया, ‘‘एक वैज्ञानिक एवं उत्साही शिक्षक, जो सीखने और सिखाने का महत्व समझते थे, प्रोफेसर यशपाल का निधन हमारे लिए एक बड़ी क्षति है.’’