SCO Summit 2023: रोटी को मोहताज PAK क्यों चाहता है भारत से दोस्ती? पढ़ें बिलावल की गोवा यात्रा की इनसाइड स्टोरी
Bilawal Bhutto Visit Inside Story: बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) के भारत आने के पीछे का मकसद क्या है, ये जानना दिलचस्प है क्योंकि इस दौरे से पहले ही साफ हो गया था कि पाकिस्तान (Pakistan) के साथ भारत द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेगा.
Bilawal Bhutto India Visit: आज शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 8 सदस्य देशों के विदेश मंत्री गोवा (Goa) में बैठक करेंगे. इससे पहले गुरुवार को कुछ देशों के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई, लेकिन 12 साल बाद पाकिस्तान से भारत आए किसी विदेश मंत्री के तौर पर बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ वार्ता का मौका नहीं मिला. लेकिन बिलावल के भारत दौरे के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ये जरूर मान लिया है कि अब शहबाज सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर कोई मुद्दा नहीं रह गया और अब पाकिस्तान किसी भी तरह बस भारत से दोस्ती करके अपना खस्ताहाल इकोनॉमी को पटरी पर लाना चाहता है. पढ़िए बिलावल की भारत यात्रा की ये इनसाइड स्टोरी.
क्या है बिलावल भुट्टो का प्लान?
बता दें कि बिलावल भुट्टो गोवा की धरती पर उतर कर फूले नहीं समा रहे हैं. उनके चेहरे की मुस्कुराहट बता रही है जैसे उसका बड़ा पुराना ख्वाब पूरा हो गया हो. और उधर पाकिस्तान ने मान लिया है अब कश्मीर पाकिस्तान के लिए कोई मुद्दा नहीं रह गया है. पाकिस्तान को चााहिए तो सिर्फ हिंदुस्तान की दोस्ती चाहिए. पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा कि या तो हम एक फैसला कर लें कि कश्मीर अब हमारे हाथ से निकल गया है. अब इसको छोड़ें. जिस तरह पहले कहा गया कि 20 साल तक इसको फ्रीज कर दें. ठंडे बस्ते में डाल दें.
क्यों पढ़े जा रहे बिलावल की तारीफ में कसीदे?
गौरतलब है कि बिलावल भुट्टो पाकिस्तान से भारत के लिए निकले, भारत की धरती पर कदम रखा, भारत में क्या कहा, क्या किया और क्या करेंगे, ये सारी खबरें इस वक्त पाकिस्तान में सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी तो बिलावल भुट्टो के भारत पहुंचने के बाद उनकी बलाएं ले रही है. पीपीपी के नेता शरजील मेमन ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन की एक अहम मीटिंग भारत में है, वहां हमारे फॉरेन मिनिस्टर गए हुए हैं. हमारी शान हैं. हमारी आन हैं. पीपुल्स पार्टी की जान हैं. हम सबकी दुआएं उनके साथ हैं.. अल्लाह करे जिस मिशन पर गए हैं उस मिशन में अल्लाह उनको कामयाबी दे क्योंकि कोई आम आदमी भारत नहीं गया है. शहीद जुल्फीकार अली भुट्टो का नवासा भारत गया है. आज शहीद मोहतरमा बेनजीर भुट्टो का बेटा भारत गया है. आज आसिफ अली जरदारी का बेटा अपने मुल्क की नुमाइंदगी करने गया है.
क्या फिर होगी भारत से दोस्ती की शुरुआत?
बता दें कि आज एससीओ समिट में एससीओ देशों के विदेश मंत्री कई मुद्दों पर मंथन करेंगे. पाकिस्तान के एक्सपर्ट बिलावल भुट्टो को भारत के साथ ट्रेड पर कोई बात करने का मौका तलाश करने की नसीहत दे रहे हैं. लेकिन बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के साथ पाकिस्तान में एक बात को लेकर चीजें क्लियर हो गई हैं कि अब कश्मीर पर पाकिस्तान ने पूरी तरह भारत के सामने सरेंडर कर दिया है और अब पाकिस्तान चाहता है किसी भी तरह भारत से दोस्ती शुरू हो और पाकिस्तान की गरीबी खत्म हो.
क्या ट्रेड शुरू करने पर बनेगी बात?
पाकिस्तानी एक्सपर्ट कह रह हैं कि देखिए भारत के साथ बिल्कुल ताल्लुकात बेहतर होने चाहिए. ट्रेड होना चाहिए, इसमें कोई शक नहीं है और जब तक ट्रेड शुरू नहीं होता भारत और पाकिस्तान का तो पाकिस्तान जिस जगह पर है वो जितना पाकिस्तान फायदा उठा सकता है. वो नहीं उठा रहा. पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुछ भी कहें लेकिन पाकिस्तान में भारत के साथ संबंधों के सबसे बड़े एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि खुद बिलावल भुट्टो को गोवा जाना कोई मामूली घटना नहीं. क्योंकि इससे पहले कई बार ऐसा हुआ है जब एससीओ की बैठक में पाकिस्तान ने अपने मंत्रियों को नहीं भेजा.
पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा कि एक तो ये है कि हमको एससीओ के साथ अपने संबंधों को इजहार करना है. बिल्कुल दुरस्त है. दूसरी तरफ एक और इश्यू है जो जम्मू और कश्मीर का विवाद है. उस पर भी हमें दुनिया में अपनी क्रेडिबिलिटी रखनी है. बदकिस्मती से देखिए हमारी कूटनीति में बहुत बड़ा मसला हो गया है कि अस्थिरता बहुत ज्यादा हो गई है. एक तरफ हम एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में नहीं जाते. उसमें हमारे रक्षा सचिव इस्लामाबाद से शिरकत कर लेते हैं तो क्यों जरूरी हुआ कि हम अपने विदेश मंत्री को भेजें.
जान लें कि अब्दुल बासित भारत में कई साल तक पाकिस्तान के उच्चायुक्त के तौर पर काम कर चुके हैं. वो भी मानते हैं कि जी-20 से एससीओ तक भारत में हो रही समिट को लेकर पाकिस्तान का रुख जम्मू-कश्मीर पर मुल्क का सरेंडर है. अब्दुल बासित ने कहा कि अब देखिए G-20 की भी मीटिंग हो रही है श्रीनगर में. 22 से लेकर 24 तक, उसके बारे में भी हमें क्लियरिटी नहीं है. हमें क्या करना है. मतलब हमें थोड़ा बहुत या तो हम एक फैसला कर लें कि कश्मीर अब हमारे हाथ से निकल गया है.
यानी पाकिस्तान इस वक्त कश्मीर मुद्दे को अलग रखकर किसी भी तरह अपनी खोखली हो चुकी इकोनॉमी को बचाना चाहता है. और भारत से दुश्मनी की पाकिस्तान की हैसियत नहीं बची है इसलिए पाकिस्तान दोस्ती और बातचीत के रास्ते पर आना चाहता है. पाकिस्तान के एक्सपर्ट ये भी मान रहे हैं कि भारत इस वक्त इतनी बड़ी ग्लोबल पावर बन चुका है. इतनी बड़ी ताकत बन चुका है कि उसका कश्मीर राग कोई सुनना भी नहीं चाहता.
कुल मिलाकर बिलावल की कोशिश किसी भी तरह गोवा से कुछ ऐसा लेकर जाने की है जिससे पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले उनका नाम हो जाए. भारत से ट्रेड को लेकर बात हो गई तो बिलावल इसे जीत की तरह दिखाएंगे. लेकिन भारत का रुख ऐसा लगता नहीं यानी बिलावल गोवा से खाली हाथ में कराची लौटेंगे.
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