Bird Flu in India: पश्चिम बंगाल के मालदा में बर्ड फ्लू का एक मामला सामने आया है. भारत में इंसान को बर्ड फ्लू सबटाइप H9N2 बीमारी का यह केवल दूसरा मामला है. पहली बार भारत में साल 2019 में बर्ड फ्लू रिपोर्ट किया गया था. बर्ड फ्लू से पीड़ित बच्ची के पिता ने बताया है कि उसके लिए यह साल अब तक कितना कठिन रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बढ़ते मेडिकल बिल, जाने-आने का लागत और अन्य खर्चों के कारण पश्चिम बंगाल के मालदा का रहने वाला 29 वर्षीय किसान पिता को अपना गुजारा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. उनका तीन वर्षीय बेटी एवियन इन्फ्लूएंजा ए से पीड़ित थी. पिछले महीने ही अस्पताल ने उसे छुट्टी दी है.


बच्ची ने पेट दर्द की शिकायत की थीः बच्ची के पिता


नाम न छापने की शर्त पर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बच्ची के पिता ने कहा कि उनकी कठिन परीक्षा जनवरी में शुरू हुई, जब बच्ची ने गंभीर पेट दर्द की शिकायत की. इसके बाद शरीर में बुखार और अन्य फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दिए. एक स्थानीय अस्पताल ने मालदा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. वहां से फिर कोलकाता के नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल रेफर कर दिया गया.


उन्होंने आगे कहा, "यह पूरा साल मेरे लिए कठिन रहा है. दवा और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए ऋण लिया है और अपना कीमती सामान बेच दिया है. अब तक लगभग 5 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. फरवरी में बच्ची को पहली बार अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कुछ दिनों के भीतर फिर से वही लक्षण दिखे. बच्ची को फिर से भर्ती करना पड़ा और फिर मालदा से कोलकाता के एनआरएस अस्पताल ले जाना पड़ा. कोलकाता अस्पताल के शेल्टर में महीनों तक रहे."


कोलकाता में रहने में आई कठिनाइयों को बताते हुए उन्होंने कहा, " मेरे लिए मालदा से प्रतिदिन कोलकाता आना-जाना संभव नहीं था. इसलिए मैं प्रतिदिन 75 रुपये खर्च करके अस्पताल के शेल्टर में रहा. डॉक्टर ने मुझे बताया कि वह किसी पक्षी वायरस से संक्रमित थी."


कैसे पता चला?


जनवरी के अंत में बुखार और पेट दर्द जैसे लक्षण दिखने के बाद बच्ची को शुरू में वायुमार्ग को प्रभावित करने वाली स्थिति का पता चला था. कुछ ही समय बाद बच्ची को दौरे पड़ने लगे और सांस लेने में गंभीर समस्या होने लगी, जिसके कारण फरवरी की शुरुआत में उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ा. जांच में इन्फ्लूएंजा बी और एडेनोवायरस से संक्रमित होने का पता चला.


फरवरी के अंत में बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन जल्द ही उसे फिर से सांस लेने में गंभीर समस्या होने लगी. मार्च की शुरुआत में फिर से आईसीयू में भर्ती करना पड़ा. इस बार की जांच में इन्फ्लूएंजा ए और राइनोवायरस से संक्रमित पाया गया. अप्रैल के अंत में इन्फ्लूएंजा ए के विशिष्ट प्रकार की पहचान H9N2 के रूप में की गई. बच्ची को 8 मई को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ छुट्टी दे दी गई है.


बच्ची के पिता का कहना है कि हम सावधानी बरत रहे हैं और बच्ची को पर्याप्त आराम दे रहे हैं. लेकिन अभी भी सांस फूलने की शिकायत है, इसलिए हम घर पर ऑक्सीजन सपोर्ट देते हैं.


वायरस के संपर्क में कैसे आई पता नहींः व्यक्ति


विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मरीज के घर या आसपास के इलाके में मुर्गे के संपर्क में आने पड़ यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है. वहीं, बच्ची के पिता का कहना है, " हमें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि बच्ची को यह वायरस कैसे हुआ. हमारे पास पोल्ट्री फॉर्म नहीं है. साथ ही परिवार या आसपास के इलाकों में भी किसी के बर्ड फ्लू होने के लक्षण  का पता नहीं चला है.