September severe heat: सितंबर का पहला हफ़्ता बीतने को है. दिल्ली के आसमान में बादल तो हैं लेकिन बारिश का कोई अता-पता नहीं. अगस्त भी इसी तरह सूखा-सूखा निकल गया और अब सितंबर झुलसा रहा है. दिल्ली ही नहीं उत्तर और मध्य भारत के ज़्यादातर हिस्से सितंबर में मई वाली गर्मी से बेहाल हैं. सितंबर में 40 डिग्री वाले टॉर्चर से लोग हैरान हैं, परेशान हैं. भीषण गर्मी का आलम यह है कि सितंबर महीने में दिल्ली का जो कनॉट प्लेस लोगों की चहल पहल से गुलज़ार रहता था, अब वहां सन्नाटा पसरा है.


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जो लोग किसी तरह हिम्मत जुटा कर बाहर निकल रहे हैं, वो भी गर्मी से जूझते नज़र आ रहे हैं. मौसम विभाग के मुताबिक़ ये सब प्रशांत महासागर में बने अल नीनों का किया धरा है. अल नीनो की वजह से मॉनसून वक़्त से पहले ही कमज़ोर हो गया है और अब हवाओं में उतनी नमी भी नहीं बची है.


अगस्त के महीने में कम बारिश और साफ़ आसमान की वजह से दिल्ली समेत उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाक़ों में तापमान बढ़ता चला गया. हालांकि राहत की बात ये है कि अगले कुछ दिन तक दिल्ली के आसमान पर बादल दिख सकते हैं. तापमान थोड़ा सा गिर सकता है. लेकिन ये राहत सिर्फ़ फ़ौरी राहत है, क्योंकि बादल भले ही हों, बारिश की संभावना न के बराबर ही है.


बता दें कि नेचर के नेचर में आए इस चेंज की वजह क्लाइमेट चेंज है. यानी जलवायु परिवर्तन और इस परिवर्तन का असर सिर्फ़ हम नहीं पूरी दुनिया महसूस कर रही है. यूरोप के जो देश ठंडी आबोहवा और ख़ुशगवार मौसम के लिए जाने जाते हैं. अब वो भी गर्मी से बेहाल हैं.


सितंबर का महीना चल रहा है. लेकिन ब्रिटेन के कई हिस्सों में तापमान 31 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है. गर्मी से बेहाल जनता समन्दर की तरफ़ दौड़ लगा रही है. कोई रेत में गले तक धंसा बैठा है, तो कोई आइसक्रीम के सहारे गर्मी को मात देने की कोशिश में जुटा है. अमेरिका के एरिज़ोना में भी हालात अलग नहीं हैं. यहां भी तापमान 30 डिग्री के आसपास है और लोग सितंबर में पड़ रही इस गर्मी से हैरान हैं.


सितंबर में मई जैसी गर्मी सामान्य तो बिल्कुल नहीं है. ये बात दुनिया भर के नेता भी अच्छी तरह जानते हैं. इसीलिए 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में जब G20 देशों के नेता एकजुट होंगे, तो क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के मुद्दे पर भी मंथन ज़रूर होगा. लेकिन अब ज़रूरत मंथन की नहीं एक्शन की है.