मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के पास एक नहीं, बल्कि दो बार प्रधानमंत्री बनने का मौका था, लेकिन कांग्रेस (Congress) पार्टी में उनके विरोधियों द्वारा इनकार के बाद ऐसा नहीं हो पाया. इस बात का खुलासा एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) ने किया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के 'दरबारी राजनीति' के कारण शरद पवार प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे.


पवार इन 2 मौकों पर नहीं बन पाए पीएम


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प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) ने दावा किया है कि 1990 के दशक में जब शरद पवार (Sharad Pawar) कांग्रेस में थे, उस दौरान अपने खिलाफ 'दरबारी राजनीति' के कारण वह दो मौकों पर प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे. उन्होंने कहा, 'शरद पवार 1991 और 1996 में प्रधानमंत्री की भूमिका के लिए निश्चित रूप से स्वाभाविक उम्मीदवार थे. लेकिन दिल्ली की दरबारी राजनीति (भाई-भतीजावाद) ने इसमें अवरोध पैदा करने की कोशिश की.'


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'1991 में कांग्रेस प्रमुख के दावेदार थे पवार'


एनसीपी नेता ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित लेख में कहा, '1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच मजबूत धारणा थी कि पवार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए. लेकिन दरबारी राजनीति ने एक मजबूत नेता के विचार का विरोध किया और पीवी नरसिम्हा राव को पार्टी प्रमुख बनाने की योजना बनाई.' उन्होंने आगे लिखा, 'पीवी नरसिंह राव बीमार थे और लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था. वह रिटायर होकर हैदराबाद में रहने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हें राजी किया गया और सिर्फ पवार की उम्मीदवारी का विरोध करने के लिए उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.'


1996 में इस कारण पीएम नहीं बन पाए पवार


प्रफुल्ल पटेल ने कहा, '1996 में भी शरद पवार (Sharad Pawar) के पास एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का मौका था. 1996 में कांग्रेस को 145 सीटें मिली थीं और एचडी देवगौड़ा, लालू प्रसाद यादव व मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ वामपंथी नेताओं ने कहा कि अगर पवार को पीएम बनाया जाता है तो वे कांग्रेस का समर्थन करेंगे. लेकिन पीवी नरसिम्हा राव डटे रहे और देवेगौड़ा को बाहर से समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.' उन्होंने आगे लिखा, 'जब राव ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा तो उन्होंने सीताराम केसरी के नाम को अपने उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया.'


कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देने से किया इनकार


प्रफुल्ल पटेल की टिप्पणी पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है. लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पवार साल 1986 में कांग्रेस में फिर से शामिल हुए थे और दिल्ली में उनकी छवि यह थी कि वह एक निष्ठावान कांग्रेसी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पवार ने 1978 में भी पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था.


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