Sharad Pawar on Security: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में दी गई जेड-प्लस सुरक्षा को अपनाने से इनकार कर दिया है. यह सुरक्षा उन्हें केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई समीक्षा के बाद दी गई थी, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली जा रही है. पवार का यह कदम न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि उनकी सुरक्षा से जुड़े कई सवाल भी खड़े कर रहा है. सिक्योरिटी मिलने पर भी उन्होंने हैरानी जताई थी. वहीं विपक्षी दलों का मानना है कि ये फैसला शरद पवार की जासूसी के लिए लिया गया है.  


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सूत्रों के अनुसार, पवार ने इस सुरक्षा बढ़ोतरी के कारणों पर सवाल उठाते हुए इसे अनावश्यक बताया है. उन्होंने जानना चाहा कि आखिरकार उनकी सुरक्षा क्यों बढ़ाई जा रही है, और किस आधार पर उन्हें इस तरह की सुरक्षा दी जा रही है? यह सवाल उठाते हुए पवार ने स्पष्ट किया कि वे उन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करेंगे जो उनकी दैनिक गतिविधियों में बाधा बन सकते हैं.


महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पवार ने दिल्ली स्थित अपने आवास के अंदर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, राजधानी में यात्रा के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन को बदलने और उनके वाहन के अंदर दो सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जैसे प्रस्तावों को ठुकरा दिया है. सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उनके दिल्ली स्थित आवास की चारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया था, जिसे पवार ने अस्वीकार कर दिया है.


शुक्रवार को आयोजित एक बैठक में पवार ने सुरक्षा एजेंसियों के प्रतिनिधियों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर इस तरह की सख्ती को आवश्यक नहीं समझते. इस बैठक में सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, दिल्ली अग्निशमन सेवा, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल थे. 


इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा मूल्यांकन के बाद पवार की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की सिफारिश की थी. इसके परिणामस्वरूप, सीआरपीएफ को पवार को जेड-प्लस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था. इस सुरक्षा व्यवस्था के तहत, पवार की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 55 सशस्त्र जवानों को तैनात किया गया है, जो 24 घंटे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.


शरद पवार का यह निर्णय न केवल उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए भी एक नई बहस का मुद्दा हो सकता है. पवार का राजनीतिक करियर दशकों पुराना है, और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिनमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री जैसे उच्च पद शामिल हैं. उनकी राजनीति में सक्रिय भूमिका और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए, उनकी सुरक्षा को लेकर उठे सवालों ने राष्ट्रीय स्तर पर हलचल पैदा कर दी है. 


पवार के इस निर्णय के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि सुरक्षा एजेंसियां और केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और आगे की क्या रणनीति अपनाते हैं. क्या पवार अपने इस निर्णय पर कायम रहेंगे, या सुरक्षा एजेंसियां उनके विचारों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के उपायों में संशोधन करेंगी? यह आने वाला समय ही बताएगा.


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