Hindutva को लेकर भिड़ी बीजेपी और शिवसेना, Mohan Bhagwat के बयान से विवाद
हिन्दुत्व को लेकर बीजेपी और शिवसेना में अब नई बहस छिड़ गई है जिसका आधार संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान बना है. शिवसेना ने इस बयान के सहारे निशाना साधा तो बीजेपी ने भी पलटवार किया है.
मुंबई: संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से हिन्दुत्व पर दिए बयान से शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब शिवसेना ने सामना में संपादकीय के जरिए भागवत के बयान के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा है. इसके जवाब में बीजेपी ने कहा कि हिन्दुत्व त्याग चुकी शिवसेना को हमें नसीहत देने का कोई अधिकार नहीं है.
'हिन्दुत्ववादी सरकारें बेचती हैं बीफ'
सामना में लिखा गया है कि संघ प्रमुख ने भले ही ये मान लिया है कि धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए, लेकिन क्या संघ का राजनीतिक अंग भाजपा ने इस बात को स्वीकार किया है. मुखपत्र में आगे कहा गया कि देश में धर्म देखकर किसी का वर्चस्व स्थापित नहीं होने की बात भागवत ने कही है लेकिन क्या दिल्ली में बैठे सत्ताधारी इसे मानने को तैयार हैं.
शिवसेना ने आगे बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते 7 साल में घर में 'बीफ' मिलने के शक में कई लोगों की मॉब लिंचिंग कर दी गई. लेकिन इससे उलट हिन्दुत्ववादी सरकार वाले कई राज्यों में गाय का मांस बेचा जाता है और इससे बड़ी कमाई की जाती है. यह तो सरासर ढोंग है और संघ प्रमुख ने इसी पर हमला बोला है.
'सत्ता के लालच में दिया धोखा'
बीजेपी की ओर से भी शिवसेना पर पलटवार किया गया. पार्टी नेता राम कदम ने कहा कि जो पार्टी हिन्दुत्व का त्याग कर चुकी है वो संघ प्रमुख के भाषण को क्या समझेगी. उन्होंने कहा कि शिवसेना को पहले हिन्दुत्व पर चिंतन की जरूरत है.
राम कदम ने कहा कि अगर ये स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे की शिवसेना होती तो इस बयान को समझ भी पाती. लेकिन कोर्ट में भगवान राम के मंदिर का विरोध करने वाली कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना को हिन्दुत्व कभी नहीं समझ आएगा. उन्होंने कहा कि सत्ता के लालच में शिवसेना ने हिन्दुत्व का त्याग कर दिया और महाराष्ट्र की जनता के साथ धोखा किया है.
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बता दें RSS प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि लिंचिंग की घटनाओं में शामिल लोग हिन्दुत्व के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को अपने भीतर से डर की भावना को दूर करना चाहिए. साथ ही संघ प्रमुख ने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को 'इस्लाम खतरे में है' वाले डर के चक्र में नहीं फंसना चाहिए.