Shiv Sena ने उठाई मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर बैन की मांग, केंद्र से की ये गुजारिश
शिवसेना (Shiv Sena) ने देश में मस्जिदों के लाउडस्पीकरों (loudspeakers of mosques) पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है. शिवसेना के मुखपत्र `सामना` (Saamana) में छपे लेख में कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मस्जिदों के लाउडस्पीकरों पर रोक लगानी चाहिए.
मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) ने देश में मस्जिदों के लाउडस्पीकरों (loudspeakers of mosques) पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' (Saamana) में छपे लेख में कहा गया है कि ध्वनि प्रदूषण के नियम सभी के लिए जरूरी है. इसलिए सरकार को अध्यादेश लाकर मस्जिदों में बज रहे लाउड स्पीकरों पर रोक लगानी चाहिए.
'लाउडस्पीकरों से पर्यावरण संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ा'
'सामना' (Saamana) में छपे लेख में कहा गया है कि देश में ध्वनि प्रदूषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर (loudspeakers of mosques)इसके बहुत बड़े कारण हैं. इन लाउडस्पीकरों की वजह से देश में पर्यावरण संरक्षण और ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी दिक्कत भी बढ़ रही है. इस समस्या के निदान के लिए सरकार को केंद्र में अध्यादेश लाना चाहिए.
'मुझे अज़ान सुनना अच्छा लगता है'- पांडुरंग सकपाल
बता दें कि इससे पहले शिवसेना (Shiv Sena) की दक्षिण मुंबई इकाई के प्रमुख पांडुरंग सकपाल (Pandurang Sakpal) ने एक उर्दू न्यूज पोर्टल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि, 'वह दक्षिण मुंबई में एक मुस्लिम कब्रिस्तान के पास रहता है और उसे 'अज़ान' (Ajan) का पाठ बहुत अच्छा लगता है और वह इसे सुनना पसंद करता है'. इस बयान के बाद बीजेपी ने शिवसेना पर निशाना साधा था. जिसके बाद शिवसेना ने अब डैमेज कंट्रोल शुरू करते हुए मस्जिदों से लाउडस्पीकर (loudspeakers of mosques) हटवाने की मांग की है.
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जाति के नाम वाली कॉलोनियों के नाम बदलने का फैसला
महाराष्ट्र में अब कोई भी कॉलोनी या इलाक़े का नाम और पहचान किसी जाति के नाम से नहीं होगी. ऐसी सभी रेसीडेंशियल कॉलोनियों के नाम अब बदले जाएंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र कैबिनेट ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. जातिगत नाम बदलने का फैसला झुग्गी बस्तियों और कई गांवों पर भी लागू होगा. महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक इस फैसले का मकसद जातिगत भेदभाव को दूर करना है. ये प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने रखा था.
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