पूनम महाजन की `शहरी माओवादी` वाली टिप्पणी पर शिवसेना ने फडणवीस पर साधा निशाना
नॉर्थ-सेंट्रल मुंबई से बीजेपी सांसद पूनम महाजन के एक बयान पर उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब उन्होंने किसान आंदोलन पर कहा कि कुछ `शहरी माओवादी` किसानों को गुमराह कर रहे हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र में हालिया हुए किसान आंदोलन के लिए 'शहरी माओवादियों' को जिम्मेदार बताने वाला बयान देने के लिये बीजेपी सांसद पूनम महाजन पर हमला करते हुए शिवसेना ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के प्रदर्शनकारियों की मांगों को स्वीकार करने के कारण क्या इसी तर्क के आधार पर उन्हें 'माओवाद समर्थक' करार दिया जा सकता है. पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में शिवसेना ने सवाल किया, 'मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों के साथ एक बैठक की और उनकी मांगों को स्वीकार करने पर सहमत हुए. क्या इसका मतलब यह है कि वह एक माओवाद समर्थक हैं और उन्होंने पाप किया है?'
किसान लॉन्ग मार्च शहरी माओवादियों का काम- पूनम महाजन
नॉर्थ-सेंट्रल मुंबई से बीजेपी सांसद पूनम महाजन के एक बयान पर उस समय विवाद खड़ा हो गया जब उन्होंने कहा कि कुछ 'शहरी माओवादी' किसानों को गुमराह कर रहे हैं. बीते सोमवार (12 मार्च) को हजारों किसानों ने नासिक से मुंबई तक 180 किलोमीटर की दूरी तक लंबा मार्च निकाला था.
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किसानों से बैठकर बात करे सरकार- महाजन
बीजेपी की सांसद पूनम महाजन ने सोमवार (12 मार्च) को कहा था, 'महाराष्ट्र में प्रदर्शन कर रहे किसान और आदिवासी 'शहरी माओवादियों' द्वारा गुमराह किए जा रहे हैं. बीजेपी की अगुआई वाली महाराष्ट्र सरकार की यह जिम्मेदारी थी कि वह किसानों समस्याओं के समाधान के लिए प्रदर्शनकारियों के साथ बैठकर बातचीत करें.' पूनम महाजन ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, 'दुर्भाग्यवश, माओवादियों ने आदिवासियों को प्रभावित कर लिया और उनका केन्द्र पुणे में है. सरकार उनके लिए बहुत कुछ कर सकती है लेकिन (माओवादी) विचारधारा उन्हें रोक रही है. हमने भारत के कई शहरों में शहरी माओवादियों को देखा है. वे उन जिलों में जाते हैं जिन्हें माओवादी प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है.'
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माकपा ने पूनम महाजन के बयान की निंदा की
महाजन पर निशाना साधते हुए माकपा नेता एमबी राजेश ने कहा, 'ऑल इंडिया किसान सभा रैली का नेतृत्व कर रही है. कोई भी पोस्टर, बैनर और झंड़े देख सकता है. मुझे डर लग रहा है कि भाजपा उन्हें राष्ट्र- विरोधी कह सकती है.' किसानों की मुख्य मांगों में बिना शर्त ऋण माफी और आदिवासी किसानों को वन भूमि का हस्तांतरण शामिल हैं.