G20 meeting Srinagar: शक्तिशाली समूह जी-20 के ‘पर्यटन कार्य समूह’(टीडब्ल्यूजी) तीन दिवसीय बैठक की शुरूआत सोमवार को श्रीनगर में शुरू हो गई. चीन को छोड़कर सभी जी20 देशों के प्रतिनिधि सोमवार को श्रीनगर पहुंचे. 17 देशों के 61 प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया. यह चीन और पाकिस्तान के लिए एक बड़ा तमाचा है साथ इन दोनों देशों को भारत ने अपनी कूनितिक ताकत का अहसास करा दिया है.


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अगस्त 2019 में धारा 370 की समाप्ति के बाद कश्मीर में यह पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक है. चीन और पाकिस्तान इस बैठक के खिलाफ जमकर प्रचार कर रहे थे लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ. सिर्फ सऊदी अरब और तुर्की ने बैठक के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया लेकिन इन दोनों देशों ने भी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की.


कश्मीर नहीं रहा विवादित मुद्दा
बैठक में अमेरिका, रूस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका समेत 17 ताकतवर देशों ने भाग लिया. खास बात यह रही जम्मू कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर सवाल उठाने वाला शक्तिशाली यूरोपीय यूनियन भी बैठक में शामिल हुआ. इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता मान रहे हैं. इन देशों का बैठक में भाग लेने का अर्थ यह है कि इनके लिए जम्मू-कश्मीर अब विवादित मुद्दा नहीं है.


कार्यक्रम की देखरेख के लिए यहां डेरा डाले केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि कश्मीर में पर्यटन एक प्रमुख उद्योग है. उन्होंने कहा कि जी20 कार्यक्रम के साथ घाटी एक रोमांचक यात्रा शुरू कर रही है और यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगा.


'बैठक को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली'
जी20 के लिये भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, “चीन को छोड़कर सभी जी20 देशों ने हिस्सा लिया. इस बैठक को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली. यहां 61 प्रतिनिधि थे. चीन को छोड़कर सभी देश यहां मौजूद हैं.”


कांत ने चीनी प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यात्रा और पर्यटन एक निजी क्षेत्र की गतिविधि है और कई देशों के व्यापार प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया.


जम्मू-कश्मीर पर कई देशों की नकारात्मक यात्रा सलाह के बारे में पूछे जाने पर, भारत के जी20 शेरपा ने कहा, “जी7 देशों के अधिकारी भाग ले रहे थे और अगर ऐसा कोई परामर्श होता तो वे यहां नहीं आते.” प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि कश्मीर में बदलाव आया है और अब यहां हड़ताल का आह्वान सुनने वाला कोई नहीं है.