Maulana Arshad Madani on the reason for backwardness of Muslims: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के प्रमुख मौलाना अशरद मदनी ने आज़ादी के बाद देश में बनी सभी सरकारों पर मुसलमानों को शिक्षा और आर्थिक क्षेत्रों से दूर रखने का आरोप लगाया है. मदनी ने मुस्लिम समाज के प्रभावशाली लोगों से लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल-कॉलेज खोलने की अपील की. संगठन की दिल्ली इकाई के पदाधिकारियों के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मदनी ने दावा किया कि बीजेपी शासित राज्यों में ‘लव जिहाद’ के नाम पर कानून बनाकर मुस्लिम लड़कों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.


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'मुस्लिमों को पैरों पर खड़ा नहीं होने दिया'


मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद सभी प्रकार की सांप्रदायिकता के खिलाफ है, भले ही वह मुस्लिम सांप्रदायिकता हो या हिंदू सांप्रदायिकता, क्योंकि यह देश की एकता और सुरक्षा के लिए विनाशकारी है. उन्होंने आरोप लगाया, 'आज़ादी के बाद की सरकारों ने एक नीति के तहत मुसलमानों को शैक्षिक और आर्थिक क्षेत्र से बाहर कर दिया गया. उन्हें अपने पैरों पर खड़ा नहीं होने दिया, जिस वजह से आज समुदाय देश में सबसे पिछड़ा है.'


'मुस्लिमों के लिए धार्मिक शिक्षा अनिवार्य'


उन्होंने मुसलमानों से अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर शिक्षित करने का आह्वान किया. साथ ही मुस्लिम समुदाय के प्रभावशाली लोगों से अपील की कि वे लड़कों और लड़कियों के लिए हरसंभव अलग-अलग स्कूल और कॉलेज खोलें, जहां वे धार्मिक वातावरण में आसानी से पढ़ सकें. उन्होंने कहा, 'जिस तरह देश को उलेमा (धर्म गुरु) की जरूरत है, उसी तरह डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिकों की भी जरूरत है लेकिन संगठन धार्मिक शिक्षा को अनिवार्य मानता है.’


'स्कूल-कॉलेज खोलें उत्तर भारत के मुस्लिम'


मदनी ने इस बात अफसोस जताया कि दक्षिण भारत के मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा के प्रति जागरूकता उत्तर भारत के मुसलमानों से कहीं बेहतर है. उन्होंने कहा, 'हम शादी और अन्य समारोहों पर लाखों रुपये खर्च करते हैं लेकिन स्कूल और कॉलेज स्थापित करने के बारे में नहीं सोचते. ऐसा नहीं है कि उत्तर के मुसलमानों के पास दक्षिण की तुलना में पैसे की कमी है, लेकिन उनमें शिक्षा को लेकर चेतना विकसित करने की जरूरत है.


'लव जिहाद के नाम पर भेदभाव'


मदनी ने भाजपा शासित राज्यों में ‘लव जिहाद’ के नाम पर बने कानूनों को लागू करने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए दावा किया कि अगर मुस्लिम लड़का हिंदू लड़की से शादी करता है तो उसके पूरे परिवार को हिरासत में ले लिया जाता है और दूसरी तरफ अगर हिंदू लड़का मुस्लिम लड़की से शादी करता है तो प्रशासन कथित रूप से उसकी मदद करता है.