Supreme Court ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वह अपने यहां होने वाले भड़काऊ भाषण की घटनाओं पर खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करें. पुलिस इसके लिए औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इतंजार न करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आरोपी किस राजनीतिक दल से संबंध रखता है या किस धर्म से, भड़काऊ भाषण के मामलों का पुलिस को खुद संज्ञान लेना चाहिए. कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी भी दी है कि उनकी तरफ से ऐसे मामलों में अगर कोई लापरवाही होगी तो उसे कोर्ट गंभीरता से लेगा और उन्हें अवमानना की कार्रवाई झेलनी होगी.


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SC ने पिछले साल दिए आदेश का दायरा बढ़ाया


पिछले साल अक्टूबर में दिए गए आदेश में कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया था कि वो आरोपी का धर्म देखें बगैर हेट स्पीच के मामलों में खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करें. आज कोर्ट ने इस आदेश का दायरा बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये निर्देश दिया है.


हमें किसी पार्टी विशेष से मतलब नहीं-SC


जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि भड़काऊ भाषण की ये घटनाएं देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है. जजों का ताल्लुक किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं है. हमें किसी पार्टी विशेष से मतलब नहीं है. हमारे जेहन में सिर्फ देश का संविधान है. देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाली भड़काऊ भाषणों की घटनाओं पर हम जो सुनवाई कर रहे हैं, उसके पीछे हमारी मंशा व्यापक जनहित और कानून का शासन सुनिश्चित करने की है.


कोर्ट में दायर याचिका में मांग


कोर्ट ने ये आदेश पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की याचिका की सुनवाई के दौरान दिया था जिसमें उन्होंने पहले दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड में भड़काऊ भाषण की हुई घटनाओं में कार्रवाई की मांग की थी. बाद में उनकी ओर से दायर नई अर्जी में 21 अक्टूबर 2022 के आदेश का दायरा बढ़ाने की मांग की गई थी.


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