महाराष्ट्र सरकार और रेलवे की तनातनी में पिस रहे 60 लाख आम मुसाफिर
पिछले सात महीनों से लोकल ट्रेनों में सफर की इजाजत नहीं मिलने से परेशान मुंबई के 60 लाख मुसाफिर महाराष्ट्र सरकार और रेलवे की लड़ाई में पिस रहे हैं. ये वो मुसाफिर हैं जिन्हें अभी लोकल ट्रेनों में सफर की इजाजत नहीं मिली है.
मुंबई: पिछले सात महीनों से लोकल ट्रेनों (Mumbai Local Trains) में सफर की इजाजत नहीं मिलने से परेशान मुंबई के 60 लाख मुसाफिर महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) और रेलवे (Railways) की लड़ाई में पिस रहे हैं. ये वो मुसाफिर हैं जिन्हें अभी लोकल ट्रेनों में सफर की इजाजत नहीं मिली है. महाराष्ट्र सरकार ने दो दिन पहले रेलवे को चिट्ठी लिखकर आम लोगों को भी लोकल ट्रेनों में सफर की इजाजत देने की गुजारिश की थी. लेकिन रेलवे ने महाराष्ट्र सरकार के सामने जो सवाल उठाए हैं उसका समाधान नहीं मिलने से आम लोग मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर नहीं कर पा रहे हैं.
राज्य गृह मंत्री ने रेलवे पर फोड़ा ठीकरा
वहीं आम लोगों को लोकल ट्रेन में सफर की अब तक इजाजत नहीं मिलने का ठीकरा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रेलवे पर फोड़ दिया है. देशमुख का कहना है कि लोकल ट्रेनों में आम लोगों को सफर की इजाजत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पूरा टाइमिंग शेड्यूल बनाकर भेज दिया है. इस शेड्यूल के मुताबिक, पहली लोकल ट्रेन शुरू होने से सुबह 7.30 बजे तक आम लोगों को इजाजत दी जाए. इसके बाद सुबह 11 बजे से दोपहर चार बजे तक और रात को आठ बजे के बाद आखिरी लोकल ट्रेन में आम लोगों को सफर करने दिया जाए. राज्य सरकार का मानना है कि इससे पीक आवर्स के दौरान भीड़ नहीं होगी और लोकल ट्रेनों में कोरोना गाइड लाइंस का भी पालन हो सकेगा.
रेलवे ने दिया जवाब
रेलवे का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार के शेड्यूल के पालन कराते वक्त भीड़ को मैनेज करना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए सरकार पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ कोई ऐप बनाएं. जिससे मुसाफिरों की भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. रेलवे का कहना है कि वो अपनी पूरी क्षमता के साथ यानी लॉकडाउन से पहले जितनी लोकल ट्रेनें चलती थी उतनी वापस भी चला लें तो कोरोना गाइड लाइंस के हिसाब से 22 लाख से 24 लाख मुसाफिरों को ही जगह मिल सकती है. जबकि मुंबई में सेंट्रल लाइन पर करीब 45 लाख और वेस्टर्न लाइन पर रोजाना 35 लाख मुसाफिर सफर करते रहे हैं. ऐसे में बाकी 60 लाख मुसाफिरों का क्या होगा. रेलवे का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार तय करें कि इनमें से किन्हें लोकल ट्रेन में जाने की इजाजत दी जाए.
फिलहाल क्या स्टेटस है?
इस समय मुंबई में वेस्टर्न रेलवे रूट पर 704 लोकल ट्रेनें चल रही हैं, जिनमें 3.95 लाख मुसाफिर सफर कर रहे हैं. ये सब अत्यावश्यक सेवा से जुड़े लोग या महिलाएं और वो लोग है जिन्हें हाल ही में लोकल ट्रेन में चढ़ने की इजाजत दी गई है. वहीं सेंट्रल रेलवे रूट पर 706 लोकल ट्रेंने चलाई जा रही हैं जिनमें करीब 4.57 लाख लोग सफर कर रहे है.
पहले क्या होता था?
रेलवे के अनुसार, आम दिनों में एक लोकल ट्रेन में 2560 मुसाफिर सफर करते हैं. हालांकि भीड़भाड़ के वक्त ये आंकड़ा 4500 तक हो जाता है. लेकिन कोरोना गाइडलाइंस के तहत एक लोकल ट्रेन में फिलहाल अधिकतम 700 मुसाफिर ही चढ़ सकते हैं. लॉकडाउन के पहले वेस्टर्न रेलवे रूट पर 1367 लोकल ट्रेनें चलती थीं, जिनमें करीब 35 लाख लोग सफर करते थे. वहीं सेंट्रल रेलवे रूट पर 1774 लोकल ट्रेनें चलती थीं, जिनमें करीब 45 लाख लोग सफर करते थे.
पेंच कहां फंसा है?
सेंट्रल रेलवे का कहना है कि वो सारी लोकल ट्रेनें भी शुरू कर दें तो सोशल डिस्टेंसिंग के चलते 12.40 लाख लोग ही सफर कर पाएंगे. वहीं वेस्टर्न रेलवे रूट पर भी सभी लोकल ट्रेनें चला दी जाए तो करीब 9.60 लाख लोग ही सफर कर पाएंगे. अब जबकि मुंबई में सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे रूट पर सफर करने वालों की संख्या 80 लाख हैं तो बाकी के 55-60 लाख लोग कैसे सफर कर पाएंगे. इसका जवाब महाराष्ट्र सरकार के पास भी नहीं है.
दिक्कतें और भी हैं...
महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि उसने अलग-अलग लोगों के लिए ट्रेन में सफर का टाइमिंग शेड्यूल बना दिया है. लेकिन ट्रेनों के इस टाइमिंग शेड्यूल के हिसाब से लोग सफर कर अपने दफ्तरों या कारखानों में पहुंचेंगे तो क्या आफिस वालों को मंजूर होगा. इसका जवाब किसी के पास नहीं है. गौरतलब है कि मुंबई में ज्यादातर लोग अपने दफ्तरों या कार्यस्थलों पर जाने के लिए लोकल ट्रेनों का सहारा लेते हैं. पिछले सात महीनों से लोकल ट्रेनें आम लोगों के लिए बंद होने की वजह से वो अपने काम धंधों पर नहीं जा पा रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र सरकार और रेलवे एक दूसरे पर ठीकरा फोड़कर अपना कर्तव्य पूरा कर रही है. इन 60 लाख मुसाफिरों के बारे में सोचने की फिक्र किसी को नहीं है.
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