मुंबई:  देश में एक और बैंक घोटाला मामला सामने आया है और इस घोटाले में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सूबे के एक से एक दिग्गज विपक्षी नेताओं पर कानूनी शिकंजा कस सकता है. 


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यह करीब ढाई हजार करोड़ रूपये का बैँक घोटाला है और इसमें एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार परिवार पर भी कानूनी डंडा चल सकता है. दर्जनों दिग्गज नेताओं, बैंक अफसरों  समेत कुल 76 लोगों के खिलाफ इस बैँक घोटाले में बॉम्बे हाई कोर्ट के एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार ने दिग्गज नेताओं पर कानूनी शिकंजा  कसने का ऐलान कर दिया है. 


महाराष्ट्र की सियासत में MSCB(महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक) घोटाले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद खलबली मच गई है. करीब ढाई हजार करोड़ रुपए के इस बैंक घोटाले में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का परिवार शक के घेरे में आ गया है. 



बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस की EOW (आर्थिक अपराध शाखा) को NCP प्रमुख शरद पवार के भतीजे व पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एनसीपी और कांग्रेस के  एक से एक दिग्गज नेताओं के खिलाफ पांच दिन के भीतर एफआइआर दर्ज करने का आदेश सुना दिया है. अदालत ने कहा कि इस मामले में पहली नजर में उनके खिलाफ विश्वसनीय सुबूत हैं.


MSCB में लोन बाटने और सरकारी आर्थिक मदद देने के नाम पर करोड़ों रुपये की बंदरबांट हुई है. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस बैंक घोटाले में सूबे के बेहद ताकतवर सियासी लोगों ने सरकारी खजाने को जमकर लूटा है. बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस एसके शिंदे की पीठ ने गुरुवार को इस बैंक घोटाले में देवेंद्र फडणवीस सरकार को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए है. 


बैंक घोटाले में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार परिवार सांसत मे पड़ गया है. शरद पवार के भतीजे अजित पवार के अलावा इस मामले के आरोपियों में कांग्रेस और एनसीपी के कई ताकतवर नेताओं, सरकारी अधिकारी और राज्य के 34 जिलों के कोऑपरेटिव बैंक के कई अफसरोँ समेत कुल 76 लोगों पर कानूनी गाज गिरी हैं.


सभी पर आरोप  है कि वे 2007 से 2011 के बीच एमएससीबी को कथित रूप से ढाई हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने में शामिल थे. NABARD (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक)  द्वारा कराए गए निरीक्षण और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव सोसायटीज (एमसीएस) एक्ट के तहत अर्धन्यायिक जांच 


आयोग द्वारा दाखिल आरोपपत्र में एनसीपी नेता शरद पवार के भतीजे अजित पवार और बैंक के कई निदेशकों समेत अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया था. इसमें कहा गया था कि उनके फैसलों, कार्यों और लापरवाही की वजह से बैंक को यह नुकसान उठाना पड़ा. नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट में यह तथ्य भी उजागर हुआ था कि आरोपियों ने चीनी और कताई मिलों को कर्ज बांटने, कर्ज नहीं चुकाए जाने और कर्जों की वसूली में कई बैंकिंग कानूनों व रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया. खास बात यह  है कि उस दौरान अजित पवार बैंक के निदेशक थे.


महाराष्ट्र सरकार ने इस बैंक घोटाले में कडी कानूनी कारवाई का ऐलान किया है. एम.एस.सी.बी. बैंक घोटाले में आरटीआइ कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने 2015 में आर्थिक अपराध शाखा में एक शिकायत दर्ज कराई थी और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर एफआइआर दर्ज किए जाने की मांग की थी. 


गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्ट, शिकायत और एमसीएस एक्ट के तहत दायर आरोपपत्र से साफ है कि आरोपियों के खिलाफ इस मामले में विश्वसनीय सुबूत हैं. इस घोटाले में कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं के शामिल होने की लंबी फेहरिस्त है, जबकि बीजेपी और शिवसेना के चुनिंदा नेताओं के भी नाम शामिल हैं. 


जिन बड़े नेताओं पर कानूनी शिकंजा कस सकता है उनमें महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजीत पवार, पू्र्व कैबिनेट मंत्री हसन मुश्रीफ, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिलीप सोपल , महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्षी दल नेता विजय वडेट्टीवार, शेकाप पार्टी के महासचिव जयंत पाटिल, शिवसेना नेता आनंदराव अडसुल जैसे नाम शामिल हैं. 


महाराष्ट्र में अक्तूबर महीने में विधानसभा के चुनाव हैं और चुनाव से ऐन पहले इस बैंक घोटाले में बडे बडे सियासी दिग्गजों के नाम आने के बाद सूबे की सियासत और गर्मा गई है.