कोलकाता: 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले अभी तीन महीने बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को बड़ी चुनावी बाधा का सामना करना है. दरअसल बंगाल की 125 नगरपालिकाओं में से 110 पर अप्रैल में निकाय चुनाव होने हैं. अब इसमें असल समस्‍या ये है कि ममता सरकार ये निकाय चुनाव ईवीएम के बजाय बैलट पेपर से कराने की पक्षधर है.


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इस संबंध में म्‍युनिसिपल मामलों से जुड़े डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव ने राज्‍य चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. इसके साथ ही अब ये मामला चुनाव आयोग के समक्ष पहुंच गया है. वैसे अभी तक ये आम परंपरा रही है कि इस तरह के चुनावों में आयोग राज्‍य सरकार के निर्णयों से सहमति जताता रहा है.


कारण
दरअसल लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) खास प्रदर्शन नहीं कर पाई. राज्‍य की 42 लोकसभा सीटों में टीएमसी को 22 और बीजेपी को 18 सीटें मिलीं. बीजेपी को पहली बार बंगाल में इतनी बड़ी कामयाबी मिली. उसके बाद ममता बनर्जी ने आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि ईवीएम मशीनों में छेड़खानी करके बीजेपी ने बंगाल में कामयाबी हासिल की. उन्‍होंने चुनावों बाद मांग भी की थी कि भविष्‍य के सभी चुनाव बैलट पेपर से कराए जाएं. दरअसल ममता बनर्जी का मानना है कि कंप्‍यूटर प्रोग्रामिंग के माध्‍यम से ईवीएम मशीनों में छेड़खानी की जा सकती है.


इनसाइड स्‍टोरी
यदि 2021 राज्‍य विधानसभा चुनाव ममता बनर्जी का फाइनल गेम है तो उससे पहले निकाय चुनाव उनके लिए सेमीफाइनल मैच की तरह है. ये इन चुनावों को लेकर इसलिए भी गंभीर हैं क्‍योंकि राज्‍य के विभिन्‍न जिलों में ये 110 नगरपालिकाएं फैली हुई हैं. इन चुनावों में बुरे प्रदर्शन का असर सीधे तौर पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा. ममता को ये भी आशंका है कि ईवीएम से निकाय चुनाव होने पर केंद्र की बीजेपी सरकार इनमें छेड़खानी करा सकती है. इसलिए वह किसी प्रकार का कोई चांस नहीं लेना चाहतीं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ईवीएम मशीनों में किसी प्रकार की छेड़खानी मुमकिन नहीं है.


आगे की राह
निकाय चुनावों के नियमों के मुताबिक राज्‍य चुनाव आयोग को राज्‍य सरकार के निर्देशों का अनुपालन करना होता है. ऐसे में ये आसानी से कहा जा सकता है कि अप्रैल में होने जा रहे निकाय चुनाव बैलट पेपर से होंगे. हालांकि 2014 में ये ईवीएम से हुए थे.


(रिपोर्टर: सुतापा सेन)