त्रिभुवन रंगा, बीकानेर: किसान खेत की मेड़ पर लिखा एक ऐसा नाम है. जो हर मौसम में परेशानी झेलता है. दूसरों की थाली में भोजन रखने वाला किसान. खुद एक वक्त की रोटी के लिए तरसता है. एक तरफ किसान जहां कुदरत के सैलाब से परेशान है. तो दूसरी तरफ किसानों की फसलों पर टिड्डियों ने हमला बोल दिया है. 


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बीकानेर के सीमावर्ती क्षेत्रों के खेतों में हरियाली की चादर की जगह टिड्डियों की पीली चादर नज़र आ रही है. खून पसीने बहाकर खेतों को सींचने वाले किसानों की मेहनत पर टिड्डियों ने हमला बोल दिया है. जिससे किसानों की फसल बर्बादी की कगार पर खड़ी है. 


सरकारी तंत्र का नहीं है ध्यान
किसानों का कहना है कि सरकारी तंत्र किसानों की दशा पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. अधिकारियों को टिड्डियों के हमले की सूचना देने के बाद उन्होंने फसलों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. 


आश्वासन के अलावा नहीं मिला कुछ और
हालांकि सियासतदानों ने टिड्डी प्रभावित इलाकों का दौरा जरूर किया. लेकिन किसानों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. किसानों का कहना है कि नेता सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की जुगत में लगे रहते हैं. 


दवा वितरण ऊंट के मुंह में जीरा
सरकार अनुदान के नाम पर 50 प्रतिशत में दवाई वितरण जरूर कर रही है. लेकिन टिड्डियों की तादात को देखते ये दवा ऊंट के मुंह में ज़ीरे के बराबर साबित हो रही है.


टिड्डियों के कारण फसल चौपट
बज्जू क्षेत्र के किसान किसन लाल का कहना है कि फसल बर्बादी की सूचना अधिकारियों को देने बाद भी अधिकारी फसल को देखने तक नहीं पहुंच रहे हैं. किसान खुद अपने बर्तनों को बजा-बजा कर टिड्डियों को उड़ा रहे हैं. टिड्डियों की वजह से बाजरा, मोठ और मूंगफली की फसलें पूरी तरह से चोपट हो गई हैं. किसानों ने मांग की है कि सरकार इसके लिए स्पेशल गिरदावरी करवा मुआवजा दिलाए.


बीजेपी विधायक का दौरा और...
बीजेपी विधायक और जिला देहात बीजेपी अध्यक्ष बिहारी लाल बिश्नोई ने टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में दौरा किया. बिश्नोई ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार टिड्डी आपदा का सामना करने में पूरी तरह से विफल है.


नेताजी का वादा रह गया कोरा
किसानों के नाम पर सरकारें बनाने वाले नेता, किसानों के दर्द पर दवा लगाने का दावा करने वाले नेताओं को किसानों का दर्द देखना चाहिए. और र्बाद हुई फसलों का उचित मुआवज़ा देना चाहिए. ताकि किसानों की हालत में सुधार आ सके. या फिर सियासत किसानों को सिर्फ सियासी केंद्र में रखकर अपना भला चाहती है.