मुंबई: मुंबई महानगर पालिका सोशल मीडिया पर 6 करो़ड रुपए तीन साल में खर्च कर अपनी ईमेज में सुधारने की कोशिश करेगा. बीएमसी ट्वीटर, फेसबुक, इन्स्टाग्राम सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये लोगों तक पहुंच बनाना चाहती है. इसके लिए एक निजी संस्थान की सहायता ले रही है. दरअसल, बरसात की शुरुआत होने से पहले ही बीएमसी के दावे खोखले साबित हुए. लोगों को बेहतर सहूलियत देने का दावा महज कागजी रह गया. बरसात के दौरान सड़कों की बदतर हालत, हर जगह पानी जमा होने से होने वाली असुविधा के चलते बीएमसी को ट्वीटर और फेसबुक पर भरपूर लोगों ने आड़े हाथों लिया.


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ट्विटर पर बीएमसी के तकरीबन 50 हजार से अधिक फॉलोअर हैं लेकिन बीएमसी की खिंचाई भी उतनी ही मात्रा में हुई है, जितनी बीएमसी ने ट्विट किया. साल 2017-2018 में बीएमसी के कामकाज को लेकर रेडियो जॉकी द्वारा बनाया गया वीडियो पूरे देश भर में चर्चित रहा था. इस साल बरसात के पहले अपने कामकाज के बारे बीएमसी ने खिंचाई करने वालों के साथ एक स्पॉट निरीक्षण का कार्यक्रम भी किया था. लेकिन, नतीजा वही का वही, पब्लिसिटी तो महानगरपालिका कर गई लेकिन लोगों को सहूलियत नहीं मिल सकी.


 



महानगरपालिका में विरोधी दल के नेता रवि‌ राजा ने कहा कि एक मजबूत आईटी सेल होने के बावजूद भी एक निजी संस्थान के जरिये सोशल मीडिया पर इस तरह से प्रचार-प्रसार करना और लोगों को सहूलियत नहीं देना किसी भी हाल में उचित नहीं है. कमेटी में जब इस बाबत योजना को लाया जाएगा तो इसका हम पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि जो लोग यहां आएंगे, वह बीएमसी का भला तो नहीं करेंगे लेकिन अपना भला जरूर करेंगे. इसके लिए बाकायदा टेंडर प्रोसेस होना चाहिए था, जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ है.


हालांकि, इस बारे में मुंबई महानगरपालिका अपनी अलग सोच रखता है. महानगरपालिका के मुताबिक, बीएमसी क्या कर रही है इसके बारे में लोगों को बताना भी जरूरी है, यह बेहतर होगा और उन्हें अपने साथ जोड़ना भी जरूरी है. इस दिशा में बीएमसी कई अलग-अलग काम कर रही है. उसी सिलसिले में सोशल मीडिया के जरिये यह काम किया जा रहा है. बीएमसी के पास बजट है और उसी बजट में से इसके लिए खर्च कर रही है. अगर बीएमसी का बजट देखे हैं तो किसी छोटे राज्य के बजट के बराबर ही बीएमसी का बजट है. यह लगभग 76 हजार करोड़ रुपए है. अगर बीएमसी के सोशल मीडिया की देखरेख और बाकी चीजों पर बात करें तो इसके लिए 40 लोगों की टीम है. जो हर दिन सैकड़ों ट्वीट और अन्य जानकारियां देते हैं. मुंबई महानगर पालिका के स्थायी समिति के अध्यक्ष इस बात को स्वीकार करते है कि पहले प्रयास विफल हुए थे, लेकिन अब ठीक होंगे. 


स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन यशवंत जाधव का कहना है कि बीएमसी के पास बजट है, उसी बजट में से ये खर्च किया जा रहा है. पिछली बार जो बातें कही गई हैं कि फेसबुक पर फोटो अपलोड कीजिए और वह गड्ढों को भरने का काम किया जाएगा. उसके पीछे में नहीं जाना चाहता हूं कि आखिर वह क्यों रह गया. लेकिन आगे इस तरह से प्रयास से बीएमसी के बारे में लोग बातें जान सकेंगे कि हिसाब से हम काम कर रहे हैं और हमारे काम के लोग सराहना भी करेंगे.


बीएमसी अपनी ईमेज सुधारने के लिए हर दिन ₹55000 खर्च करने को तैयार है. लेकिन जनता के हित के काम करने के बजाय सोशल मीडिया के जरिए अपनी छवि को चमकाने की महानगर पालिका की यह कवायद कितनी रंग लाएगी यह तो वक्त बताएगा. महानगर के सभागार में ऐसी योजना के विरोध में स्वर उठने स्वभाविक नजर आ रहे हैं.