जयपुर: दिवाली के पहले, पटाखों से होने वाले प्रदूषण ने फिर से चिंता बढ़ा दी है. दिल्ली NCR सहित राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, पाली, अलवर देश के सबसे प्रदुषित शहरों की श्रेणी में सबसे अव्वल हैं. लेकिन पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के पास पॉल्यूशन लेवल कम करने की कोई कार्ययोजना तक नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी खुलेआम प्रतिबंधित पटाखे बेचे जा रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, दिपावली के त्योहार के दौरान देश की मेट्रो सिटीज में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. जहां एक ओर देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के जहर से सांस लेना भी दूभर हो जाता है. वहीं प्रदेश की राजधानी जयपुर में भी पिछले साल के हालात डराने वाले थे. दिवाली के बाद पटाखों से होने वाले इस प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़े पटाखों पर रोक ला दी थी लेकिन फिर भी बाजार में बड़े पटाखे जैसे सुतली और लड़ी बम खुलेआम बिक रहे हैं.  


सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी अवैध पटाखों की ब्रिकी को लेकर अधिकारी लापरवाह बने बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की हो रही इन अवहेलना और इस लापरवाही को लेकर जब राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से सवाल किया तो अफसर बगलें झांकने लगे. वहीं मामले पर कुछ भी कहने से कतराते हुए नजर आए.


इधर, पटाखा विक्रेता रोक से पहले ही ऐसे पटाखे, फैक्ट्री से बाजरों में पहुंचने की दुहाई दे रहे हैं. वहीं डॉक्टर्स मानते हैं कि बड़े पटाखों से होने वाली तेज आवाज कान के पर्दे भी फाड़ सकती है. साथी ही इनका धुआं भी सांस के मरीज़ों के साथ सामान्य लोगों के लिए भी घातक है. जो कि सांस से संबंधित कई बीमारियां दे सकता है.



आपको बता दें कि दिवाली के पहले फिर से पटाखों के साइड-इफेक्ट्स की बात होने लगी है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर NGT तक ऐसे पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुका हैं. लेकिन मॉनिटरिंग ऐजेन्सियों को बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से कोई सरोकार तक नहीं हैं. यही वजह है कि बार बार प्रशासन की गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजुद अधिकारियों का ये बेपरवाह रवैया लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है.