शोएब रज़ा, नई दिल्ली: दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने सरकार से अपील की है कि नक्सलियों और अलगाववादियों से बातचीत कर देश में शांति लाने की कोशिश की जाए. उन्होंने अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के मकसद से भारत सरकार के जरिये तालिबान से की गई बातचीत को सकारात्मक बताया है. इस पहल के जरिए उन्होंने सवाल उठाया है कि जब तालिबान से बातचीत की जा सकती है तो कश्मीर का मसला हल करने के लिए अलगाववादियों से क्यों नहीं? बुखारी ने कश्मीर मसले के हल के लिए अलगाववादी संगठनों समेत सभी पक्षों से बात करने की वकालत की.
            
अहमद बुखारी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के मकसद से जो नीति भारत ने अपनाई है वह काबिलेतारीफ है. उसी नीति को आगे बढ़ाते हुए सरकार कश्मीरी युवाओं, अलगाववादी नेताओं, माओवादियों, नक्सलियों और बोडो अलगावादियों से बातचीत करे. उन्होंने कहा कि जो नीति अपनाकर अफगानिस्तान में अमन कायम किया जा रहा है उस नीति को देश में अपनाने से परहेज क्यों?


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सरकार पर साधा निशाना
जामा मस्जिद के इमाम ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं. दहशत फैलाते हैं. लेकिन सरकार उन्हें आतंकवादी नहीं कहती, जबकि एक खास मजहब के लोगों को आतंकवादी कह दिया जाता है.इसके बाद कह दिया जाता है कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता.


मुख्यधारा से भटके युवा चुन रहे आतंक का रास्ता
उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर, छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों में आतंक फैलाने वाले देश के ही लोग हैं. वो गुमराह होकर मुख्यधारा से फटक गए हैं. अगर तालिबान के साथ एक टेबल पर बैठा जा सकता है तो फिर उनके साथ बात क्यों नहीं की जा सकती.   


हालांकि सरकार की नीति रही है कि आतंकियों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी. उनके सफाए के लिए कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट भी चलाया जा रहा है. उधर, छत्तीसगढ़ समेत अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बल अपने काम को बखूबी कर रहे हैं.