राजभवन के अंदर येदियुरप्पा ले रहे होंगे शपथ, कांग्रेस-जेडीएस के MLA बाहर देंगे धरना
गुरुवार सुबह जब बेंगुलरु में कर्नाटक राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला बीएस येदियुरप्पा को शपथ दिला रहे होंगे उसी वक्त कांग्रेस और जेडीएस के विधायक राजभवन के बाह धरना-प्रदर्शन करेंगे.
बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीएस येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के विधायक सड़क पर उतरकर इसका विरोध करने का फैसला लिया है. गुरुवार सुबह जब बेंगुलरु में कर्नाटक राजभवन में राज्यपाल वजुभाई वाला बीएस येदियुरप्पा को शपथ दिला रहे होंगे उसी वक्त कांग्रेस और जेडीएस के विधायक राजभवन के बाह धरना-प्रदर्शन करेंगे.
विवाद शुरू होने के बाद कांग्रेस ने अपने सभी 78 विधायकों को एक रिसॉर्ट में ठहराया था. गुरुवार सुबह को उन सभी विधायकों को रिसॉर्ट से जाकर राजभवन के पास पहुंचने को कहा गया है. बताया जा रहा है कि जेडीएस भी अपने विधायकों के साथ राजभवन पहुंचेगी. दोनों दलों के नेता यहां धरना-प्रदर्शन करेंगे.
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कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीएस येदियुरप्पा असंवैधानिक तरीके से सरकार बना रहे हैं, इसलिए वे इसका विरोध करेंगे. कांग्रेस पार्टी और जनता दल सेक्युलर के विधायक बेंगलुरु में 9:00 बजे गांधी स्टेचू के सामने धरने पर बैठेंगे. कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने ZEE न्यूज को फोन पर बताया कि जिस समय बीएस येदुरप्पा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे होंगे, ठीक उसी वक्त हम लोग धरना देंगे, क्योंकि लोकतंत्र की हत्या हुई है. हमारे पास नंबर होने के बावजूद हमें सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाया, यह संविधान के खिलाफ है.
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रात में खुलवाया गया सुप्रीम कोर्ट
मालूम हो कि कांग्रेस और जेडीएस खेमे की ओर से बुधवार देर रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद विशेष तौर से कोर्ट खुलवाया गया. तीन जजों की बेंच में पूरी रात बहस हुई, जिसके बाद सुबह करीब पांच कोर्ट ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है कि वह राज्यपाल के फैसले पर रोक लगा दें. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी से कहा है कि वह शुक्रवार को अपने विधायकों की लिस्ट कोर्ट में पेश करें. शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे दोबारा सुनवाई करेगी.
मालूम हो कि जेडीएस और कांग्रेस ने राज्यपाल को 117 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है. इसमें 78 कांग्रेस, 37 जेडीएस, एक बसपा और एक निर्दलीय विधायक के हस्ताक्षर हैं. आपको बता दें कि कर्नाटक में 222 सीटों पर मतदान हुआ था, इस हिसाब से बहुमत के लिए 112 विधायकों का समर्थन ही चाहिए. जबकि बीजेपी के पास सिर्फ 104 विधायक हैं.