नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की पिछले साल राज्यसभा में चुनावी नैया पार करवाने की कवायद में बेंगलुरु के समीप राज्य के 43 विधायकों की मेजबानी कर राष्ट्रीय सुर्खियों में आए कर्नाटक के निवर्तमान ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार एक बार फिर चर्चा में हैं. राष्ट्रीय सुर्खियों में आने की ताजा वजह उनकी 840 करोड़ रुपये की विशाल संपत्ति है. शिवकुमार का जन्म एक कृषक परिवार में हुआ था. उनकी आधिकारिक वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार उनकी मां बेहतर शिक्षा के लिए अपने बच्चों को डोडालहल्ली से बेंगलुरु लेकर आईं. बेहतर कद-काठी नहीं होने के कारण उन्हें हाईस्कूल सचिव का पद नहीं मिल पाया था. वह इसे अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना मानते हैं. उन्होंने तभी यह संकल्प किया कि वह अपनी क्षमताओं को इतना विकिसत करेंगे कि उनके बारे में कोई भी फैसला करते समय शारीरिक क्षमताओं पर विचार गौण हो जाए.


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उनकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, शिवकुमार संस्कृत भाषा में भी काफी रुचि रखते हैं. मित्रता बनाए रखने को वह हमेशा बहुत महत्व देते हैं. राजनीतिक क्षेत्र में शिवकुमार तत्कालीन मुख्यमंत्री एस बंगरप्पा और एसएम कृष्णा जैसे बड़े नेताओं से अपनी नजदीकियों के कारण भी काफी विख्यात रहे. उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर लगी मुख्य तस्वीर में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समीप बेतकल्लुफ़ होकर बातचीत करते हुए देखा जा सकता है.


23 वर्ष की उम्र में ही पाया था विधायकी का टिकट
शिवकुमार छात्र राजनीति के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में आए. वह कर्नाटक में युवा कांग्रेस के महासचिव भी रहे. शिवकुमार को 23 वर्ष की उम्र में कांग्रेस पार्टी ने राज्य की सतानुर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के दिग्गज नेता एचडी देवगौड़ा के विरुद्ध उतारा किंतु वह यह चुनाव हार गए. बाद में 1989 में उन्होंने यह सीट जीती. इस साल कनार्टक विधानसभा चुनाव में शिवकुमार ने अपनी जो भारी-भरकम संपत्ति घोषित की है, उसे लेकर देशभर में लोगों की उत्सुकता स्वाभाविक है. उन्होंने 2013 के चुनाव में अपनी जो संपत्ति घोषित की थी, पांच साल बाद उसमें 589 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. उनकी संपत्ति कितनी अधिक है, इस बात का अंदाजा इस छोटे से तथ्य से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इसके संबंध में 94 पृष्ठों का शपथपत्र दाखिल किया है. 


अपने राजनीतिक रसूख के लिए जाने जाते हैं शिवकुमार
उन्होंने पिछले गुरुवार को बेंगलुरु के समीप कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के क्रम में अपनी इस ताजा संपत्ति की घोषणा की. इसके अनुसार, उनके पास 548,85,20,592 रुपये की अचल संपत्ति तथा 70,94,84,974 रुपये की चल संपत्ति है. शेष संपत्ति उन्होंने अपनी पत्नी और तीन आश्रितों के नाम पर दिखाई है. कर्नाटक के इस कांग्रेस नेता के राजनीतिक जीवन पर यदि सरसरी निगाह डाली जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि वह सुर्खियों में नहीं आते बल्कि सुर्खियां उनका पीछा करती रही हैं. शिवकुमार न केवल अपनी संपत्ति बल्कि अपने राजनीतिक रसूख और पार्टी के दिग्गज नेताओं से नजदीकियों के कारण भी जाने जाते हैं.



राज्य के वोक्कालिंगा समुदाय से आने वाले 55 वर्षीय शिवकुमार ने पिछले साल राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात के 43 विधायकों को बेंगलुरु के समीप एग्लेटन गोल्फ रिजॉर्ट में रुकवाया था. गुजरात के कुछ हिस्सों में उसी दौरान बाढ़ आने के बावजूद कांग्रेस विधायकों को रिजॉर्ट में रुकवाने को लेकर बीजेपी ने विपक्षी दल की काफी आलोचना की थी. हालांकि इस दौरान शिवकुमार और उनके सहयोगियों पर आयकर विभाग ने दो बार छापे मारे थे. उस समय कांग्रेस ने यह आरोप लगाया था कि आयकर विभाग बीजेपी सरकार की शह पर शिवकुमार के खिलाफ छापे मार रहा था. इन आरोपों के जवाब में स्वयं वित्त मंत्री अरुण जेटली को सामने आना पड़ा और उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि आयकर विभाग अपना काम कर रहा है और इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है.


1990 के दशक से ही काफी प्रभावशाली रहे हैं शिवकुमार 
कर्नाटक के चुनाव में शिवकुमार 1990 के दशक से ही काफी प्रभावशाली रहे हैं. माना जाता है कि 1991 में एस बंगरप्पा को मुख्यमंत्री बनवाने में उनकी भी भूमिका रही थी. बाद में 30 वर्ष की आयु में वह बंगरप्पा सरकार में जेल राज्यमंत्री बने थे. कर्नाटक की राजनीति में शिवकुमार का कद एसएम कृष्णा सरकार के दौरान काफी बढ़ा था. उन्हें कृष्णा सरकार में शहरी विकास एवं सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया. वर्तमान सरकार में वह ऊर्जा मंत्री हैं. ऊर्जा मंत्री के रूप में वह राज्य सरकार द्वारा सौर ऊर्जा के क्षेत्र में की गई विभिन्न पहलों को अपनी प्रमुख उपलब्धि मानते हैं. शिवकुमार का संबंध जिन कंपनियों और ट्रस्ट से हैं, वे परिवहन, शिक्षा, रियल एस्टेट, खनन, बिजली आदि क्षेत्रों में सक्रिय हैं.