नई दिल्ली: कर्नाटक में हाल में शपथ लेने वाली जेडीएस-कांग्रेस सरकार में विभागों के बंटवारे में देरी हो सकता है क्योंकि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने बेट और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विदेश यात्रा पर जा रही हैं. सूत्रों के अनुसार विभागों के बंटवारे पर फैसला करने वाली बैठक को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है क्योंकि सोनिया गांधी स्वास्थ्य जांच के लिए अपने बेटे के साथ रविवार रात विदेश यात्रा पर रवाना हो रही हैं. 


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सूत्रों में से एक ने कहा, ‘अधिक उम्मीद है कि बैठक चार- पांच जून को होगी.’ कांग्रेस और जेडीएस के बीच वित्त, गृह, लोकनिर्माण विभाग और ऊर्जा, सिंचाई और शहरी विकास जैसे प्रमुख विभागों को लेकर खींचतान चल रही है. कांग्रेस इसका इंतजार कर रही है कि जेडीएस विभागों की अपनी सूची के साथ सामने आए.  


विभागों के बंटवारे को लेकर कुछ मुद्दे हैं : कुमारस्वामी
शनिवार को जेडीएस नेता एवं मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने स्वीकार किया था कि गठबंधन साझेदार के साथ विभागों के बंटवारे को लेकर कुछ ‘मुद्दे’ हैं. गत 23 मई को कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री और कांग्रेस के जी परमेश्वर ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. यह पहले ही फैसला हो चुका है कि कांग्रेस के 21 मंत्री और जेडीएस के 11 मंत्री होंगे. 


सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने वित्त विभाग की मांग की है क्योंकि राज्य में पूर्ववर्ती गठबंधन सरकारों 2004-2006 (जेडीएस-कांग्रेस) के साथ ही 2006-2008 (जेडीएस-बीजेपी) में यह विभाग उपमुख्यमंत्री पद लेने वालों को गया है. यह भी चर्चा और मांग है कि पार्टी को कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल करना चाहिए. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में थे और उन्होंने मंत्रिपद के दावेदारों से बातचीत की. 


सोमवार को पीएम से मिल सकते हैं कुमारस्वामी
कुमारस्वामी के सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की संभावना है. शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ विभाग बंटवारे को लेकर पहले दौर की चर्चा की थी लेकिन बैठक में कोई निर्णय नहीं हो सका. बैठक में सिद्धरमैया , परमेश्वर , मल्लिकार्जुन खड़गे और डी के शिवकुमार तथा प्रदेश पार्टी प्रभारी के सी वेणुगोपाल मौजूद थे. 


कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में ‘दरार’ को लेकर पूछे गए सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि जब आंतरिक लोकतंत्र होता है, साझेदारों को मुद्दे उठाने का अधिकार है और इन्हें ‘दरार’ नहीं कहा जा सकता. 


(इनपुट - भाषा)