जयपुर: राजस्थान(Rajasthan) में सभी स्टेट हाईवेज(State Highways) पर अब निजी वाहनों पर फिर से टोल वसूला जाना शुरू हो गया है. बीजेपी ने सरकार के इस फैसले पर सवाल तो उठाए हैं, लेकिन नेशनल हाईवे पर निजी वाहनों को टोल मुक्त करने के लिए केंद्र से पैरवी के सवाल पर बीजेपी नेता खामोश दिख रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि, क्या स्टेट हाईवे पर टोल के खिलाफ बीजेपी का विरोध सिर्फ राजनीति से प्रेरित माना जाए?


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भारतीय जनता पार्टी सरकार के फैसले का विरोध कर रही है स्टेट हाईवेज पर निजी वाहनों से टोल वसूली जाने के मामले में बीजेपी ने नाराजगी जताई है और साथ ही सरकार से इस बात की गुजारिश की है कि टोल वसूली के फैसले को वापस लिया जाए.


इस मामले में वसुंधरा सरकार के फैसले की दुहाई भी की जा रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया खुद कहते हैं कि 52 स्टेट हाईवेज पर टोल मुक्त करने की मांग उठी थी और उस मांग पर विचार करते हुए ही एक अप्रैल 2018 से वसुंधरा सरकार ने इस फैसले को लागू किया था.


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया(Satish Poonia) स्टेट हाईवे(State Highway) पर निजी वाहनों से टोल वसूली जाने के सरकारी फैसले का विरोध तो कर रहे हैं, लेकिन जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी के राजमार्गों(National Highway Authority Roads) की बात आती है और  नेशनल हाईवेज पर निजी गाड़ियों को छूट दिलाने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत या पैरवी करने की बात आती है तो नेताओं की जुबान फेविकोल की मजबूत जोड़ से चिपकी दिखाई दी. नेताओं को ज्यादा कुछ नहीं सूझा तो कह दिया कि यह अभी चर्चा में आया कोई ताजा विषय नहीं है.


राष्ट्रीय राजमार्गों पर निजी वाहनों के टोल में मुक्ति के सवाल पर बीजेपी की स्थिति और ज्यादा अप्रिय इसलिए भी हो जाती है क्योंकि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह किसी भी सूरत में किसी भी नई कैटेगरी की गाड़ी को अब टोल मुक्त कैटेगरी में शामिल नहीं करेंगे.