मुंबई: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को कहा कि मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए प्रावधानों वाले विधेयक को पास करने के लिए अगर जरूरत हुई तो महाराष्ट्र विधानमंडल के सत्र को बढ़ाया जा सकता है. 


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पाटिल विधान परिषद में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखे जाने की विपक्ष की मांग पर जवाब दे रहे थे. एसबीसीसी ने मराठा समुदाय को ‘सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा’ करार दिया है. मंत्री विधान परिषद के नेता भी हैं.


विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने यह मुद्दा उठाते हुए पूछा कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार मराठा और धनगर (गडरिया) समुदायों को आरक्षण के प्रावधान के लिए क्रमश: एसबीसीसी और टीआईएसएस (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) की रिपोर्टों को क्यों ‘छिपा’ रही है. धनगर (गडरिया) समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत आरक्षण के लिए दबाव बना रहा है.


उन्होंने कहा कि अगर सरकार एसबीसीसी और टीआईआईएस के निष्कर्षों वाली रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) को बृहस्पतिवार को सदन के पटल पर रखती है तो इसका मतलब है कि वह सदन में आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा को लेकर गंभीर नहीं है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये पाटिल ने कहा कि एटीआर पर विचार रखने के लिए सदस्यों को पर्याप्त समय मुहैया कराया जाएगा. मंत्री ने कहा, ‘एटीआर और (मराठा) विधेयक पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा. अगर जरूरत हुई तो सत्र का समय भी बढ़ाया जाएगा.’