जयपुर: सत्‍तारूढ़ कांग्रेस के मौजूदा सियासी संकट के बीच सचिन पायलट समेत बागी विधायकों को अयोग्‍य ठहराने के मसले पर राजस्‍थान हाई कोर्ट से मायूसी मिलने के बाद मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्‍यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की. उन्‍होंने विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह किया. राज्‍यपाल ने कहा कि वह विधिक परामर्श के बाद फैसला लेंगे. इस पर मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्‍व में कांग्रेस विधायकों ने राजभवन में पांच घंटे का धरना देकर विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की. राज्‍यपाल के आश्‍वासन के बाद उन्‍होंने धरना समाप्‍त किया. 


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उसके बाद गवर्नर कलराज मिश्र ने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर मैं विशेषज्ञों से राय ले पाता, उससे पहले ही आपने सार्वजनिक रूप से कहा कि आपकी मांग के समर्थन में यदि राजभवन को घेरा गया तो आपकी जिम्‍मेदारी नहीं होगी. यदि आप और गृह मंत्रालय गवर्नर की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी नहीं लेंगे तो राज्‍य में कानून-व्‍यवस्‍था की स्थिति क्‍या होगी? 


पत्र में ये भी कहा गया कि इस परिस्थिति में गवर्नर की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? मैंने इस तरह का बयान आज तक किसी मुख्‍यमंत्री से नहीं सुना. क्‍या राजभवन में विधायकों का विरोध प्रदर्शन गलत परंपरा की शुरुआत नहीं है? 


राजभवन में कांग्रेस विधायकों का धरना 
इससे पहले विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को लेकर राजभवन में धरने पर बैठे कांग्रेस और उसका समर्थन कर रहे दलों के विधायकों ने राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से आश्वासन मिलने के बाद अपना करीब पांच घंटे लंबा धरना समाप्त कर दिया. मिश्र ने कहा कि सत्र आहूत करने के संबंध में वह बिना किसी दबाव और द्वेष के संविधान का पालन करेंगे.


कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने इस बारे में फैसला करने से पहले कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है. राजभवन की ओर से छह बिंदुओं के साथ पत्रावली राज्य सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय को भिजवाई गई है. इन बिंदुओं पर विचार के लिए गहलोत कैबिनेट की बैठक शुक्रवार रात मुख्यमंत्री निवास पर हुई.


सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि वह संविधान के अनुच्छेद 174 के अनुरूप ही कदम उठाएंगे. उक्त अनुच्छेद राज्य विधानसभा का सत्र आहूत करने में राज्यपाल की भूमिका से जुड़ा है.


'राजभवन का घेराव'
घटनाक्रम की शुरुआत शुक्रवार को उस वक्त हुई जब मुख्यमंत्री गहलोत ने दोपहर करीब 12 बजे संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार के आग्रह के बावजूद ‘ऊपर से दबाव’ के कारण राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास बहुमत है और विधानसभा में “दूध का दूध और पानी का पानी” हो जाएगा. गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन की ओर रवाना होने से पहले संवाददाताओं के समक्ष यह बात कही थी.


उन्होंने कहा था, ‘‘राज्यपाल अंतरात्मा के आधार पर, शपथ की जो भावना है उसके आधार पर फैसला करें. वरना, अगर प्रदेश की जनता राजभवन का घेराव करने आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी.’’


इसके बाद गहलोत और उनके समर्थक विधायक बसों से राजभवन पहुंचे. राजभवन में मुख्यमंत्री गहलोत पहले अकेले राज्यपाल मिश्र से मिले और उन्हें विधायकों के समर्थन पत्र सौंपते हुए सत्र बुलाने का आग्रह किया. इस बीच बाहर लॉन में बैठे विधायकों ने ‘रघुपति राघव राजाराम और हम होंगे कामयाब’ पर सुर मिलाते हुए कहा कि वे धरने पर बैठे हैं और सत्र आहूत करने की तारीख तय होने के बाद ही यहां से जाएंगे.


राज्यपाल मिश्र विधायकों के सामने आए, अपनी बात उनसे कही और वापस अपने कार्यालय में चले गए. वहीं गहलोत ने राजभवन के बाहर आकर मीडिया को बताया कि राजस्थान में उल्टी गंगा बह रही है, यहां सत्ता पक्ष विधानसभा सत्र बुलाना चाहता है और विपक्ष कह रहा है कि हम इसकी मांग नहीं कर रहे.


साथ ही गहलोत ने राज्यपाल को राज्य का संवैधानिक मुखिया बताते हुए अपने विधायकों को गांधीवादी तरीके से पेश आने की नसीहत दी. गहलोत ने उम्मीद जताई कि राज्यपाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस सरकार के प्रस्ताव पर जल्द ही फैसला करेंगे.


इस बीच कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा द्वारा राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या के षड़यंत्र के खिलाफ शनिवार सुबह 11 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन किया जायेगा.’’


भाजपा का बयान
वहीं भाजपा के नेताओं ने ‘‘जनता द्वारा राजभवन के घेराव’’ वाले गहलोत के बयान पर आपत्ति जताई. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तैनात करे. कटारिया ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जनता आकर राजभवन को घेर लेगी. मैं केंद्र से आग्रह करता हूं कि राजस्थान में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीएफ तैनात की जाए.’’ कटारिया के अनुसार इसके लिए राजस्थान पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए.


वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री का राजभवन को घेरने वाला बयान असंवैधानिक है.


इसके बाद रात लगभग आठ बजे कांग्रेस नेता राजभवन से बाहर आए. सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने की सरकार की मांग पर बिना दबाव द्वेष के फैसला करने का आश्वासन दिया है.


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उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल महोदय ने कहा है कि वह बगैर किसी दबाव और द्वेष के संविधान का पालन करेंगे. उन्होंने कुछ टिप्पणियां लिखकर एक छोटा सा आदेश मुख्यमंत्री को भेजा है. जैसे ही मंत्रिमंडल उन टिप्पणियों को निदान कर देगा तो संविधान की धारा 174 के तहत वह संविधान की अनुपालना के लिए कर्तव्यबद्ध हैं. हमें राज्यपाल के इस आश्वासन पर विश्वास है.’’


इसके बाद कांग्रेस के विधायक वापस बसों से उस होटल में चले गए जहां वे पिछले कुछ दिन से रुके हुए हैं. राजभवन की ओर से छह बिंदुओं के साथ पत्रावली भेजी गई है जिस पर विचार करने के लिए कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई.