गुवाहाटी: असम के गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बने ऐतिहासिक सरायघाट ब्रिज की जर्जर हालात से निपटने के लिए नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने युद्धस्तर पर मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया हैं. असम की राजधानी शहर गुवाहाटी में बहती विशाल ब्रह्मपुत्र नदी पर 1962 में शेष भारत से ट्रेन और सड़क यातायात से जोड़ने के लिए पहली बार किसी पुल का निर्माण किया गया था. 


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इस ऐतिहासिक डबल डेकर ब्रिज का नाम गुवाहाटी के ब्रह्मपुत्र के उत्तर पार स्थित कामरूप ग्रामीण जिले के आमीनगांव के सरायघाट गांव पर पड़ा था. सन 1671 में असम में मुगलों के अतिक्रमण को असम के प्राचीन आहोम राजकाल के दौरान सेनापति वीर लाचित बरफुकन ने यही चुनौती देते हुए मुगलों के वर्चस्व को असम के तरफ बढ़ने से रोका था. राजा राम सिंह के नेतृत्व में मुग़ल सेना की टुकड़ी को परास्त कर सरायघाट से वापस भेजने का पराक्रम असम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिपिबद्ध हैं.


 



 


असम में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बने इस पहले ब्रिज की लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर हैं और 1962 में भारत सरकार अधीन कोलकाता की ब्रैथवेट बर्न एंड जेस्सोप कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 10.6 करोड़ लागत से निर्माण कार्य पूरा किया था. सरायघाट ब्रिज के मरम्मत कार्य की प्रगति पर एनएफ रेलवे मुख्यालय के प्रमुख जनसम्पर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने बताया कि मरम्मत का कार्य निर्धारित समय के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. सीपीआरओ शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि ट्रेन सेवा बाधित किए बिना करीब 500 कर्मचारी चौबीसों घंटे कार्यरत हैं.


आगे जानकारी देते हुए सीपीआरओ ने बताया कि गुवाहाटी के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर सरायघाट रेल-सह-सड़क ऊपरी पुल के अपर डेक की मरम्मत तथा पुनर्स्थापना का विशालकाय कार्य सम्पन्न होने के करीब है. खम्भों के ऊपर 11 एक्सपेंशन ज्वाइंटों की प्रतिस्थापना के साथ सम्पूर्ण अपर डेक पर सभी 54 स्लैबों को बदलने के तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य में करीब 500 कर्मचारी नियुक्त है तथा कार्य योजना के मुताबिक जारी है.



एनएफ रेलवे प्रमुख जनसम्पर्क अधिकारी प्रणव ज्योति शर्मा ने ब्रिज की मरम्मत में आ रही रुकावटों के बारे में भी जानकारी देते हुए कहा कि लोअर डेक पर ट्रेन का आवागमन जारी रहने की वजह से पुल के अपर डेक स्लैबों की मरम्मत तथा उसे बदलने का कार्य विशेष रूप से कठिन साबित हो रहा है. इसके लिए, पुल के अपर डेक से लोअर डेक पर मलबा नहीं गिरने को सुनिश्चित करने के लिए विशेष देखभाल की गारंटी प्रदान कर रेलवे सुरक्षा आयुक्त (स्वायत्तता कायम रखने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन कार्यरत) से विशेष अनुमति हासिल की गई थी.


डेक से टूटे हुए टुकड़ों को एकत्रित करने के लिए अपर डेक के नीचे विशेष अस्थाई मचान तैयार किया गया. पुराने कंक्रीट स्लैबों तथा एक्सपेंशन ज्वाइंट स्लैबों को तोड़ने के उपरांत, नए पुल पर 10 मिमी मोटा स्टील प्लेट बिछाए गया तथा वेल्ड किए गए तथा डेक स्लैबों के निर्माण के लिए उसके ऊपर उच्च-क्षमता वाले कंक्रीट बिछाए जा रहे हैं. सिर्फ डेक स्लैब के लिए 500 टन से भी अधिक स्टील प्लेट तथा रीइंफोर्समेंट रॉड का इस्तेमाल किया गया है.


एक बार डेक स्लैबों के तैयार होने तथा एक्सपेंशन ज्वाइंटों के बदल दिए जाने पर वाहनों के आवागमन की सुविधा के लिए सम्पूर्ण डेक पर 50 से 65 मिमी मोटी हेवी ड्यूटी सेमी डेंस बियूमिनस कंक्रीट (एसडीबीसी) बिछाई जाएंगे. एक्सपेंशन ज्वाइंटों पर बम्पों को सुगम बनाने के लिए एसडीबीसी के नीचे 150 मिमी मोटे एल्युमीनियम प्लेट बिछाई जाएंगे. जिससे पुल पर उच्च गति पर गाड़ी चलाना आसान बनाएगा. स्थानीय लोगों तथा नागरिक प्रशासन की सहयोगिता के कारण बिना किसी बड़ी यातायात की बाधा के कार्य सुगमता से प्रगति पर है. 


बता दें कि गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर शेष भारत और नार्थईस्ट से ट्रेन और सड़क संपर्क को बाधित किये बिना बरकरार रखने के लिए पुरानी सरायघाट ब्रिज के पास भारत सरकार ने 475 करोड़ की लागत से 2017 में गेमोंन इंडिया लिमिटेड ने एक नई सरायघाट ब्रिज का निर्माण भी पूरा कर दिया हैं और आजकल इसी नई सरायघाट ब्रिज से असम, नार्थईस्ट के शेष भाग से भारत के अन्य क्षेत्रों से ट्रेन और सड़क यातायात आवाजाही हो रही हैं.