जब कोर्ट ने कहा- शराब जरूरी इस्तेमाल की चीज नहीं, हम इस पर फैसला क्यों दें?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, `शराब आवश्यक वस्तु नहीं है`.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) और नासिक (Nashik) में शराब की होम डिलीवरी (Liquor Home Delievery) के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि शराब कोई जरूरी इस्तेमाल की चीज नहीं है. इस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं होगी. ये याचिका महाराष्ट्र वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन की तरफ से दाखिल की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'शराब आवश्यक वस्तु नहीं है', और इस टिप्पणी के साथ ही मुंबई में शराब की दुकानों से इसकी बिक्री की अनुमति देने से इनकार करने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र वाइन विक्रेता संघ की अपील खारिज कर दी.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ''हाई कोर्ट ने पहले ही पहले ही इस मामले को नगर निगम के समक्ष रखने की याचिकाकर्ता को अनुमति दे दी है. हम इस याचिका पर विचार करने की कोई वजह नहीं पाते. विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है.’’
महाराष्ट्र वाइन विक्रेता एसोसिएशन (एमडब्ल्यूएमए) की ओर से अधिवक्ता चरनजीत चंद्रपाल ने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार बृहन्नमुंबई नगर पालिका को इस बारे में प्रतिवेदन दिया गया था लेकिन उसने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है.
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि एसोसिएशन के प्रतिवेदन पर निर्णय लेने के लिये बृहन्नमुंबई नगर निगम के लिए एक समय सीमा निर्धारित कर दी जाए. उन्होंने कहा कि शराब की ऑनलाइन बिक्री में अनेक परेशानियां हैं और काउंटर पर बिक्री की तुलना में इसमें नकली शराब की बिक्री का खतरा ज्यादा है.
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘शराब अनिवार्य वस्तु नहीं है. हम इस याचिका पर विचार के इच्छुक नहीं हैं.’’
हाई कोर्ट ने 29 मई को मुंबई में शराब की दुकानों पर शराब की बिक्री प्रतिबंधित करने संबंधी नगर निगम के आदेश को निरस्त करने से इनकार कर दिया था. अदालत ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर यह स्थानीय निकाय का नीतिगत निर्णय है.
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