ये टेस्ट कैंसर चेक करने का टेस्ट नहीं है, लेकिन आसानी से शरीर में कैंसर के चलते होने वाले बदलावों को फैलने से पहले ही कैंसर के लक्षण पहचान लेता है, ये तभी होता है जब ज्यादातर लोग कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं.
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नई दिल्ली: एक नए स्टडी के मुताबिक, दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक कैंसर (Cancer) को अब लक्षण उभरने से 4 साल पहले भी पहचान पाना मुमिकन हो सकता है. इस ब्लड टेस्ट को पनसीर (PanSeer) कहा जा रहा है, जो उन 95 फीसदी व्यक्तियों में कैंसर का पता कर लेता है, जिनको कैंसर तो होता है लेकिन लक्षण नहीं दिखते हैं.
ये टेस्ट कैंसर चेक करने का टेस्ट नहीं है, लेकिन आसानी से शरीर में कैंसर के चलते होने वाले बदलावों को फैलने से पहले ही कैंसर के लक्षण पहचान लेता है, ये तभी होता है जब ज्यादातर लोग कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं. कैंसर को जल्दी पकड़ने वाले इस टेस्ट के जरिये ना केवल बहुत सारी मौतें रोकी जा सकती हैं, बल्कि इसको नियंत्रण में रखने के लिए जल्दी कदम उठाकर जटिलताओं को भी रोका जा सकता है.
इस स्टडी में चीन की फुडान यूनीवर्सिटी के कई स्कूलों के शोधकर्ताओं, स्टेट की लेबोरेटरी ऑफ जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड कोलोब्रेटिव इन्नोवेशन सेंटर फॉर जेनेटिक्स एंड डेवलपमेंट, ताइझोऊ इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ साइंसेज और ह्यूमन फेनोम इंस्टीट्यूट ने भाग लिया. ये स्टडी नेचर कम्युनिकेशंस जनरल में छपी थी, और इसके जरिये जो टेस्ट विकसित किया गया, वो एक ‘डीएनए मेथेलेशन बेस्ड’ अनाक्रामक ब्लड टेस्ट है.
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हालांकि इससे पहले की भी कई स्टडीज में ऐसा करने को लेकर दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन ये टेस्ट इसलिए अनूठा है क्योंकि ये मरीजों में कैंसर के लक्षण उभरने से पहले ही कैंसर को पहचान लेता है. रिसर्चर्स ने डीएन के मेथेल ग्रुप्स पर ध्यान दिया, जो ट्यूमर के प्रमुख लक्षणों में से एक हैं. उसके बाद उन्होंने डीएनए के एक छोटे से रेशे को कैंसर का पता करने के लिए चुना. आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के जरिये उन्होंने एक ऐसा सिस्टम ईजाद किया, जिससे ये तय हो सके कि क्या कोई डीएनए ट्यूमर से आता है.
उन्होंने 2007 से 2014 के बीच के 414 प्लाज्मा सैंपलचीन से इकट्ठा किया. इन सभी बिना कैंसर वाले व्यक्तियों के सैम्पल्स में से, 191 के पेट, लीवर, फेफड़ों, बड़ी आंत आदि में कैंसर पाया गया. चीन में मौजूद टीम ने 223 ऐसे व्यक्तियों का भी सैंपल लिया, जिनको किसी ना किसी रूप में पहले कैंसर हो चुका था.
PanSeer के जरिये पहले से इन सभी 223 मरीजों में से 88 फीसदी में कैंसर के लक्षणों की पहचान की, जबकि इस टेस्ट के जरिये जिन लोगों में कैंसर के लक्षण नहीं थे, और जिनमें कैंसर डायग्नोज नहीं हुआ था, उनमें 95 फीसदी में कैंसर बताया था. ये टेस्ट बेहतर हो सकता है लेकिन ये नहीं बता सकता है कि किसी को किस तरह का कैंसर है.
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