हाईकोर्ट ने कहा- हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता, जालंधर की लेदर इंडस्ट्री बंद हो
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर की लेदर इंडस्ट्री को दूषित पानी को सही ढंग से ट्रीट न करने पर अगले आदेश तक बंद करने के आदेश जारी किए हैं.
चंडीगढ़: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर की लेदर इंडस्ट्री को दूषित पानी को सही ढंग से ट्रीट न करने पर अगले आदेश तक बंद करने के आदेश जारी किए हैं. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि हमें लाखों लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है न की कुछ कारोबारियों की. पंजाब पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से पेश हुई सीनियर एडवोकेट रीटा कोहली ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिए है कि जब तक दूषित पानी को मानकों के तहत ट्रीट नहीं किया जाएगा, लेदर इंडस्ट्री को बंद रखा जाएगा. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जालंधर के डीसी को आदेश लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधर लेदर कांप्लेक्स स्थित सभी फैक्टियों (टेनरीज) को बंद करने के आदेश दिए हैं. आदेश में कहा गया है कि जालंधर के डीसी हाई कोर्ट के इन आदेशों को लागू करवाने के लिए निजी तौर पर जवाबदेह होंगे. हाई कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1974 और जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम, 1974 के नियमों का उल्लंघन के दृष्टिगत यह आदेश दिया है.
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस एचएस सिद्धू की खंडपीठ ने जालंधर के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि वे इन यूनिट्स को बंद करवाने के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को हरसंभव सहायता उपलब्ध करवाएं. हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि लेदर इंडस्ट्री से निकलने वाले एमिशन और दूषित जल को पर्यावरण संरक्षण कानून और जल संरक्षण कानून के मानकों के तहत ट्रीट किया जाए.
पंजाब लेदर फेडरेशन और पंजाब एफल्युएंट ट्रीटमेंट सोसाइटी के एक विवाद में हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में सुनवाई करते हुए कहा था कि यह मामला यहां के निवासियों के स्वास्थ्य से जुड़ा है, लिहाजा अब इस मामले में जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई की जाएगी. इसके बाद हाईकोर्ट ने लेदर इंडस्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी के ट्रीटमेंट के लिए चल रहे कॉमन एफल्युएंट ट्रीटमेंट प्लांट को सरकार को अंतरिम तौर पर एक कमेटी गठित कर चलाने के आदेश दिए थे.
कमेटी को चेयर करने की जिम्मेदारी हाईकोर्ट ने जालंधर के डीसी को सौंपी थी. हाईकोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चीफ इंजीनियर को इस प्लांट की समय-समय पर जांच के आदेश दिए थे. पिछली सुनवाई पर भी हाईकोर्ट ने इस प्लांट की रिपोर्ट मांगी थी.
अब हाईकोर्ट को बताया गया कि लेदर इंडस्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी का ट्रीटमेंट तय मानकों के तहत नहीं किया जा रहा है. इस पर हाईकोर्ट ने पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा से जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेशों के तहत डीसी की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित की थी, उसे पांच वर्ष हो चुके हैं.ऐसे में अब इसका काम सोसाइटी के हवाले किया जाना चाहिए.
दोनों पक्षों में बहस के बाद हाईकोर्ट ने यहां की सभी लेदर इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश दिए और कहा कि जब तक तय मानकों के तहत यहां के दूषित पानी का ट्रीटमेंट नहीं होता तब ये बंद रहेंगी.फिलहाल मामले पर सुनवाई 3 दिसंबर तक स्थगित करदी गई है.