नासिक: महाराष्ट्र के नासिक में त्र्यंबकेश्वर नगर पालिका ने गुरुवार (26 दिसंबर) के दिन सूर्यग्रहण के चलते जल आपूर्ति का समय बदल दिया. नगर पालिका प्रशासन के इस फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसके चलते सरकारी मशीनरी पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने के बात सामने आई है. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं.


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सूर्यग्रहण के दिन लोक अपनी-अपनी आस्था के चलते शुभ-अशुभ का पालन करते हैं. कई लोग ग्रहण के सूतक समय में खाते-पीते नहीं हैं. यहां तक कि घर में भरा हुआ पुराना जल फेंक देते हैं और ग्रहण के बाद पानी भरते हैं. लेकिन त्र्यंबकेश्वर नगरपालिका प्रशासन ने सूर्यग्रहण के सूतक के कारण जल आपूर्ति का समय ही बदल दिया.


गुरुवार को सुबह 8 बजे सें 11 बजे तक ग्रहण का काल था इसलिए सुबह 11 बजे के बाद नगर पालिका ने जल आपूर्ति की. तर्क दिया जा रहा है कि ग्रहण काल के समय अगर जल आपूर्ति करते तो ग्रहण काल का पानी फेंकने की नौबत नागरिकों पर आ जाती.


त्र्यंबकेश्वर के एक नागरिक ने बताया कि हर दिन नगर पालिका सुबह जल आपूर्ति करती है, लेकिन आज सूर्यग्रहण के कारन आज जलापूर्ति विलंब से की गई. एक और स्थानीय नागरिक ने कहा कि ग्रहण काल में पानी भरना अशुभ माना जाता है. त्र्यंबकेश्वर में पिछले 20 सालों से इसी तरीके से जल आपूर्ति होती है.



वाटर सप्लाई का समय बदलने के मसले पर ज़ी मीडिया की नासिक टीम ने त्र्यंबकेश्वर के नगराध्यक्ष से संपर्क करने कि कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपना मोबाइल फोन स्वीच ऑफ कर लिया था. इसके बाद ज़ी मीडिया टीम ने स्थानीय जल आपूर्ति अफसर राहुल शिंदे से ग्रहण समय में जलआपूर्ति रोकने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि लोगों के मांग के कारन ही हमने गुरुवार को जल आपूर्ति का समय बदला था. सूर्यग्रहण के कारण यह फैसला लिया गया.


इस पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संयोजक कृष्णा चांदगुडे ने कहा, अगर ग्रहण काल के किरणों से अगर घर का पानी खराब होता है, तो डैम का पानी कैसे खराब नहीं होता है.