कानपुर: हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने यूपी पुलिस के दामन पर जो दाग लगाया है उसे मिटाने के लिए उत्तर प्रदेश की पूरी पुलिस लगी है लेकिन विकास दुबे कहां है इसका जवाब उत्तर प्रदेश की पुलिस के पास नहीं है. विकास दुबे को पकड़ने के लिए 40 थानों की पुलिस जुटी है, 500 से ज्यादा फोन सर्विलांस पर हैं और 75 जिलों में सर्विलांस टीम के साथ पुलिस अलर्ट पर हैं. इतना ही नहीं विकास दुबे पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है. इतनी तैयारी किसी अंडरवर्ल्ड डॉन के लिए नहीं बल्कि यूपी पुलिस के आठ जांबाजों की जान लेने वाले अपराधी विकास दुबे के लिए है. इसके बावजूद विकास दुबे को आकाश निगल गया या जमीन खा गई इसका पता पुलिस को नहीं चल पा रहा है. 


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कहते हैं पुलिस चाहे तो जंगल से भी सुई को ढूंढ निकालती है लेकिन ऐसा क्या हो गया कि कानपुर में यूपी पुलिस के 8 जाबांजों के खून की होली खेलने वाला अभी तक फरार है. Zee News लगातार विकास दुबे की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाता रहा है लेकिन अब हम जो खुलासा करने जा रहे है उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.


दरअसल घटना से दो दिन पहले विकास दुबे ने चौबेपुर के निलंबित थानाध्यक्ष विनय तिवारी के साथ मारपीट की थी. विकास दुबे ने एसओ विनय तिवारी का मोबाइल भी छीन लिया था. पिटने का बाद भी एसओ विनय तिवारी चुप रहे और इस पिटाई की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को भी नहीं दी.


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विनय तिवारी किस कदर विकास दुबे के खौफ में थे इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस वक्त कानपुर के विकरू गांव में डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा की अगुवाई में 3 थानों के 20 से 25 पुलिसकर्मी हिस्ट्रीशीटर विनय दुबे को पकड़ने गए थे उस वक्त वो पीछे-पीछे चल रहे थे. जैसे ही क्षेत्राधिकारी घिर गए तो थानाध्यक्ष तिवारी मौके से भाग गए.


पुलिस का मानना है कि इस दबिश के दौरान चौबेपुर के थानाध्यक्ष ने लापरवाही की और पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह से फेल रहा है.