नई दिल्लीः देशभर में इन दिनों बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दुर्गा पूजा का त्यौहार सेलिब्रेट किया जा रहा है. वेस्ट बंगाल में शरदीय नवरात्रि की अलग ही झलक देखने को मिलती है. पश्चिम बंगाल के लोग नवरात्रि के 5 दिन को खास तरह से मनाते हैं. इस बार 5 दिवसीय का खास पर्व 22 अक्टूबर से शुरू हुआ जो कि 25 अक्टूबर 2020 तक चलेगा. हिंदू केलेंडर के अनुसार इस बार 25 और 26 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा का त्यौहार  मनाया जाएगा. 5 दिनों के लंबे त्यौहर में बंगाल में बड़े, बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और नवयुवकों ने खूब आनंद लिया. 


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पारंपरिक तरीके से नवरात्रि को सेलिब्रेट करते हैं बंगाली
बंगाल के लोग दुनिया के किसी भी कोने में हों, वे नवरात्रि के त्यौहार को पूरी भव्यता के साथ मनाते हैं. बंगाल के लोग नवरात्रि में मां दुर्गा की पांरपरिक रीति-रिवाज से आराधना करते हैं. यहां दुर्गा बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाने का रिवाज है. हर साल बंगाल में सिंदूर खेला की रस्म भी अदा की जाती है. बहरहाल, यहां हम आपको सिंदूर रस्म के इतिहास से रूबरू करा रहे हैं. 


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सिंदूर खेला के पीछे की मान्यता
बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने वाले विजयादशी के पर्व पर मां को विदा करने से पहले बंगाल में सिंदूर खेलने की परंपरा है और इसे सिंदूर खेला के नाम से ही जाना जाता है. सिंदूर का अर्थ लाल सिंदूर (red vermillion) होता है और खेला का अर्थ है खेलना यानी सिंदूर से खेलना. सिंदूर खेला को लेकर मान्यताएं हैं कि दशमी के दिन सिंदूर खेला करने से सुहागनों के पतियों की उम्र लंबी होती है. दूसरी मान्यता है ये भी है कि नवरात्रि में मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती हैं. नवरात्रि पर जिस तरह लड़की के मायके आने पर उसकी सेवा की जाती है, उसी तरह मां दुर्गा की भी खूब सेवा की जाती है. 


एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं महिलाएं
सिंदूर खेला की रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है. इस रस्म में सभी महिलाएं एक दूसरे को गालों पर सिंदूर लगाती हैं. इस दौरान यहां का माहौल रंग और गुलाल के त्यौहार होली की तरह दिखाई देता है. क्योंकि उसी तरह सभी के चेहरे सिंदूर और रोली से लाल नजर आते हैं. सिंदूर खेला के अलावा नवरात्रि पूजा में बंगाल में धुनुची नृत्‍य (Dhanuchi Dance) की परंपरा भी है. जो आज पूरे देश में न‍िभाई जाने लगी है. कहा जाता है कि भक्तगण भगवती मां दुर्गा को प्रसन्‍न करने के ल‍िए धुनुची नृत्‍य करते हैं. मान्‍यता है देवी मां इस नृत्‍य से अत्‍यंत प्रसन्‍न होती हैं और भक्तों को मनचाहा वर देती हैं.