Jammu-Kashmir: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह जम्मू कश्मीर में कभी भी चुनाव कराने को लिए तैयार है. वोटर लिस्ट भी लगभग तैयार हो चुकी है. केंद्रीय चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तिथि तय करेंगे. हालांकि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के सवाल पर सरकार ने कोर्ट को बताया है कि वो इस दिशा में आगे बढ़ रही है लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा कब बहाल होगा, इसकी कोई निश्चित समयसीमा अभी नहीं बताई जा सकती है.


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कोर्ट ने सरकार से पूछा था सवाल
दरअसल, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील आर्टिकल 370 को हटाने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान रखी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा था कि जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने और उसके पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल करने को लेकर सरकार के पास क्या रोडमैप है. कोर्ट ने सरकार से इसको लेकर समयसीमा की जानकारी मांगी थी.


जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय चुनाव होंगे
आज सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि साल 2019 के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय चुनाव होंगे. पहले पंचायत चुनाव , फिर नगरपालिका के चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव होंगे. जहां तक लद्दाख का सवाल है कि लेह वाले हिस्से में चुनाव पूरा हो चुका है. कारगिल वाले हिस्से में सिंतबर में चुनाव होंगे.


पूर्ण राज्य के दर्जा देने का वक़्त नहीं बता सकते-SG
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि जहां तक जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल करने का सवाल है, उसमें थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि जम्मू कश्मीर राज्य दशकों से लगातार परेशानी झेल रहा है. मैं आपको आश्वस्त कर देना चाहता हूं कि सरकार जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल करने की कोशिश कर रही है लेकिन ये कब तक होगा, उसकी निश्चित समयसीमा नहीं बता सकता.


जम्मू कश्मीर में यूं बदले हालात
तुषार मेहता ने बताया कि जम्मू कश्मीर में शान्ति और स्थिरता लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात किस तरह से बदले, इसका ब्यौरा भी सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने रखा है. उन्होंने बताया कि,
- आतंकी घटनाओं में 45.2%  की कमी आई है
- घुसपैठ में 90.2%फ़ीसदी की कमी आई है
- क़ानून व्यवस्था को लेकर पैदा होने वाली दिक्कतें - जैसे पत्थरबाजी की घटनाओं में 97.2% की कमी आई है.
- सुरक्षाबलों के हताहत होने की घटनाओं में 65.9% की कमी आई है.
- 2018में पत्थरबाजी की 1767 घटनाएं हुई. लेकिन 2019 से लेकर अब तक ऐसी कोई पत्थरबाजी की घटना सामने नहीं आई है
- 2018 में संगठित बंद की 52 कॉल थी. आज ज़ीरो है.


जम्मू कश्मीर में निवेश को बढ़ावा
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र ने राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, जिसके चलते अभी तक अलगाववादी ताकतों के इशारों पर काम कर रहे युवा अब रोजगार में लगे हैं. जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रस्तावित निवेश 28400 करोड़ है. केंद्र के प्रयासों से निजी निवेशकों का भी  करीब 78000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है. 2022-23 में 2153 करोड़ का निवेश अब तक हो चुका है. तुषार मेहता ने बताया कि सिर्फ़ 2022 में जनवरी से दिसंबर महीने तक 1.88 करोड़ टूरिस्ट जम्मू कश्मीर आ चुके हैं. इस  साल भी 1 करोड़ टूरिस्ट जम्मू कश्मीर आ चुके हैं.


केंद्रशासित प्रदेश बने रहना अस्थायी व्यवस्था-SG
एसजी तुषार मेहता ने कहा की सरकार ने जम्मू कश्मीर के लिए जो कदम उठाये हैं, वो इसके  केंद्र शासित प्रदेश  रहते ही पूरे हो सकते हैं. हालांकि उन्होंने साफ किया कि जम्मू कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाना एक अस्थायी व्यवस्था है और जैसे ही जम्मू कश्मीर में पूरी तरह से स्थिरता बहाल हो जाएगी, राज्य का पूर्ण राज्य का दर्ज़ा बहाल कर दिया जाएगा.


कपिल सिब्बल का एतराज
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने सरकार की ओर से इन आंकड़ो के पेश किए जाने पर आपत्ति जाहिर की है. कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार जो तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रही है, उसका इस मामले की सुनवाई से कोई सम्बंध नहीं है. कोर्ट  इस मसले के सिर्फ सवैधानिक पहलुओं की समीक्षा कर रहा है कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर 5 हज़ार लोगों को हाउस अरेस्ट रखा जाता है. राज्य में धारा 144 लागू कर दी जाती है, तो जाहिर है, इस दरमियान कोई बंद या हड़ताल नहीं होगी. कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार की ओर से इन आंकड़ों जे जरिए जम्मू कश्मीर की बदले हालातों की तस्वीर पेश करने की कोशिश होती है तो याचिकाकर्ताओं को भी  इस पर जवाब दाखिल करना होगा.


सिर्फ संवैधानिक पहलुओं की समीक्षा करेगा कोर्ट
कपिल सिब्बल के ऐतराज के बाद चीफ जस्टिस ने साफ किया है कि वो इस केस में फैसला लेते वक़्त सिर्फ संवैधानिक प्रकिया पर ही विचार करेगा (यानि कोर्ट सिर्फ ये देखेगा कि फैसला लेने की प्रकिया सही थी या नहीं) कोर्ट आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में बदले हालात, राज्य में चुनाव और पूर्ण राज्य का दर्जा देने जैसे तथ्यों पर विचार नहीं करेगा.