Subrata Roy: सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत राय का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार 14 नवंबर को निधन हो गया. उन्होंने 75 साल की उम्र में अंतमि सांस ली. उनका लंबे समय से मुंबई के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. सुब्रत रॉय का जीवन उपलब्धियों और विवादों दोनों से भरा रहा. उनके निधन से सहारा समूह में शोक की लहर दौड़ गई है. आइये आपको भारत के प्रभावशाली बिजनेसमैन सुब्रत राय के शून्य से शिखर तक के सफर के बारे में बताते हैं.



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नमकीन बेचा करते थे सुब्रत राय


किसी ने नहीं सोचा था कि बिहार में जन्मे सुब्रत राय भारत के टॉप बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल होंगे. राय ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की. उनका बिजनेस.. फाइनेंस, रियल एस्टेट, मीडिया और होटल जैसे कई क्षेत्रों तक फैला हुआ था. रॉय ने गोरखपुर के सरकारी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. बिजनेस की दुनिया में उन्होंने नमकीन बेचने के कारोबार से कदम रखा. वे और उनके दोस्त स्कूटर से नमकीन बेचा करते थे.


शून्य से शिखर तक


 1976 में उन्होंने गोरखपुर से ही व्यवसाय की दुनिया में कदम रखा. जिसके बाद उन्होंने चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस को आगे बढ़ाना शुरू किया. 1978 तक, उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया. सहारा इंडिया परिवार आगे चलकर भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक बन गया.


पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी


समूह ने 1992 में हिंदी समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया. 1990 के दशक के अंत में पुणे के पास एम्बी वैली सिटी परियोजना शुरू की. सहारा टीवी के साथ टेलीविजन क्षेत्र में भी एंट्री की. सहारा टीवी को अब सहारा वन कहा जाता है. 2000 के दशक में सहारा ने लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी प्रॉपर्टी को अपने नाम कर पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं.


जाना पड़ा जेल


सहारा इंडिया परिवार को एक समय टाइम पत्रिका ने भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नौकरीदाता कहा था. उस वक्त दावा किया गया था कि सहारा इंडिया परिवार में 1.2 मिलियन लोग काम कर रहे थे. सहारा ने कहा था कि उसके पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं. बिजनेस में तमाम सफलताओं के बावजूद राय को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. कई कानूनी मामलों के कारण राय को 2014 में गिरफ्तार किया गया था. तिहाड़ जेल में रहते हुए सेबी से उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. गिरफ्तारी के दो साल बाद उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया था.


कभी नहीं मानी हार


सुब्रत राय को कई पुरस्कार और सम्मान से भी नवाजा गया है. ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में मानद डॉक्टरेट की उपाधि और लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर पुरस्कार शामिल हैं. वे भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों की लिस्ट में लंबे समय तक शामिल रहे. हाल के दिनों में वे ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने की योजना बना रहे थे. सुब्रत रॉय की दूरदर्शिता और उद्यमशीलता की भावना का प्रभाव आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा.