नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जेल से 200 करोड़ रुपये के सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) उगाही मामले में रोहिणी जेल के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि ये पांचों अधिकारी सुकेश चंद्रशेखर के साथ इस मामले में शामिल थे. 


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गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में दो जेल सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार और सुरिंदर चंद्र बोरा, दो डिप्टी सुपरिटेंडेंट महेंद्र प्रसाद और लक्ष्मी और एक असिस्टेंट सुपरिटेडेंट प्रकाश चंद हैं. इन सभी को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने रेलिगेयर के पूर्व प्रमोटर शिवेंदर सिंह और मोहन सिंह की पत्नी अदिति से 200 करोड़ की उगाही के आरोप में गिरफ्तार किया है. दिल्ली पुलिस इससे पहले भी दो जेल अधिकारियों सुभाष बत्रा और धर्म सिंह मीणा को गिरफ्तार कर चुकी है.


सुकेश चंद्रशेखर पर दर्ज हैं 2 मामले


पुलिस (Delhi Police) ने उगाही के आरोप में सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे. जिसमें शिवेंद्र मोहन की पत्नी अदिति से 200 करोड़ और मालविंदर मोहन की पत्नी जापना सिंह से 4 करोड़ की उगाही की गई थी. पुलिस ने 200 करोड़ रुपये के उगाही मामले में सुकेश के खिलाफ मकोका के तहत कार्रवाई की थी. इस प्रकरण में दर्ज दोनों मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. 


यूनिटेक प्रमोटर पर मदद का आरोप


पुलिस (Delhi Police) की चार्जशीट के मुताबिक इलेक्शन कमिशन से एक खास पार्टी को दो पत्ती चुनाव निशान दिलाने के नाम पर 50 करोड़ की उगाही मामले में सुकेश चंद्रशेखर साल 2017 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था. वहीं पर उसने शिवेंद्र मोहन की पत्नी से 200 करोड़ की उगाही का प्लान बनाया. इस काम में उसकी मदद यूनिटेक (Unitech) के प्रमोटर संजय चंद्रा ने की, जो बायर्स से धोखाधड़ी के मामले में पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था. उसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुंबई की जेल में भेज दिया गया.


सुकेश (Sukesh Chandrashekhar) की तिहाड़ जेल में शिवेंद्र मोहन और मालविंद्र मोहन से मुलाकात हुई. वहीं से पता चला कि दोनों किसी भी तरह जेल से बाहर आना चाहते है. सुकेश की वहीं जेल पर यूनिटेक के प्रोमोटर संजय और अजय चंद्र से मुलाकात हुई. यूनिटेक के दोनों प्रमोटर्स ने ने सुकेश की मुलाकात दीपक रमानी से भी करवाई, जिसके जरिए सुकेश ने अदिति सिंह और जापना सिंह से उगाही के पैसे लिए थे.


दरअसल दीपक रमानी यूनिटेक (Unitech) के संजय चद्रा और अजय चंद्रा के लिये काम करता था. वह उनके हवाला के पैसे अवतार सिंह कोचर उर्फ डॉली के जरिए बाहर भिजवाता था. इसी वजह से यूनिटेक प्रमोटर्स ने सुकेश की मुलाकात दीपक रमानी से करवाई. अदिति से लिए गए पैसे अवतार सिंह कोचर के जरिए दुबई और हांगकांग में हवाला के जरिए भिजवाए गए. 


मंडोली जेल में बनी उगाही की प्लानिंग


पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) तिहाड़ जेल में बैठकर शिवेंद्र मोहन की पत्नी से उगाही की योजना बना रहा था. तभी जेल में बंद यूपी के गैंगस्टर सुनील राठी से मिल रही धमकियों के बाद उसे जुलाई 2020 में दिल्ली की रोहिणी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. वहां पर उसे रोहिणी जेल नंबर 10 वार्ड नंबर 3 के बैरक नंबर 204 में रखा गया, जिसका इंचार्ज असिस्टेंट सुपरिटेडेंट धर्म सिंह मीणा था. 


रोहिणी जेल में आते ही सुकेश ने धर्म सिंह मीणा को मोटी रकम का लालच देते हुए जेल में खुद के लिए अलग से कमरा, सीसीटीवी से बचाव के लिये पर्दे, मोबाइल फोन और सभी सुविधाओं की बात कही, जिसे धर्म सिंह मीणा ने डिप्टी सुपरिटेडेंट सुभाष बत्रा और सुपरिटेडेंट सुरिंद्र वोहरा से बात करने के बाद उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया. 


जेल से बड़ा अफसर बनकर किया कॉल


इसके बाद सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) ने दीपक रमानी से अदिति सिंह और जापना सिंह के बारे में सारी जानाकारी जुटाने के लिए कहा. जेल से ही स्पूफ कॉल के जरिये सरकार का बड़ा अधिकारी बनकर उन्हें फोन किया गया और शिवेंद्र मोहन व मालविंदर मोहन को जेल से जल्द निकालने की बात की. जेल से रिहा करवाने के बदले सुकेश ने राजनीतिक पार्टी को फंड के रूप में देने के लिए 200 करोड़ देने की बात कही.


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जब शिवेद्र मोहन की पत्नी को यकीन हो गया कि सच में सरकार उसकी मदद करना चाहती है तो वो पैसे देने के लिए तैयार हो गई. ये पैसे सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) के कहने पर दीपक रमानी और उसका भाई प्रदीप रमानी लेने लगे. इसके बाद हवाला कारोबारी अवतार सिंह कोचर उर्फ डॉली के जरिए उस पैसे को हांगकांग और दुबई में एक कंपनी को भिजवाने लगे. हालांकि हवाला के जरिए विदेशों में भेजे गए इन पैसों की ट्रेल काफी बड़ी है, जिसकी ED भी जांच कर रही है.


जेल के अफसरों पर करोड़ों वसूलने का आरोप


सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) जेल से ही अदिति को कोड वर्ड, गाड़ी के आखिरी के चार नंबर, कार मॉडल और रंग के बारे में जानकारी देता था. फिर उसी कोड वर्ड के जरिए दीपक रमानी और उसका भाई प्रदीप रमानी ये पैसे अदिति सिंह और जापना सिंह से लिया करते थे. इन पैसों में से ज्यादातर हवाला के जरिये विदेशों में भेज दिया जाता था. मोटी रकम यानी हर दो हफ्तों में करीब 50 लाख रुपये रोहिणी जेल के असिस्टेंट सुपरिटेडेंट धर्म सिंह मीणा को दिए जाते थे, जो बाकी जेल अधिकारियों में बांटे जाते थे.  


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