Supreme Court on Masjid: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि मस्जिद में जय श्री राम का नारा लगाना अपराध कैसे हो गया. कोर्ट ने यह सवाल इसे अपराध न मानने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए किया. 


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कर्नाटक हाईकोर्ट ने मस्जिद के अंदर यह नारा लगाने वाले दो लोगो के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दर्ज केस को खत्म कर दिया था. इसके खिलाफ मस्जिद के केयरटेकर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने  नोटिस जारी करने से इनकार किया. कोर्ट ने याचिका की कॉपी राज्य सरकार को देने को कहा है. अगली सुनवाई जनवरी में होगी.


कर्नाटक कोर्ट ने रद्द कर दी थी FIR


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता हैदर अली की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि पुलिस की ओर से  FIR दर्ज होने के 20 दिन बाद ही इस केस में कर्नाटक हाई कोर्ट ने  FIR रद्द कर दी. उस वक्त इस केस की जांच चल ही रही थी.


इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस संदीप मेहता ने सवाल किया कि अगर वो  लोग कोई 'खास नारा' भी लगा रहे थे, तो ये अपराध कैसे हो सकता है. कामत ने जवाब दिया कि किसी दूसरे के धार्मिक स्थान में घुसकर धार्मिक नारा लगाने के पीछे उनकी मंशा सामाजिक सद्भाव  बिगाड़ने की थी.


जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पूछा कि क्या आरोपियों की पहचान हो गई है? क्या सिर्फ मस्जिद के पास उनकी मौजूदगी से साबित हो जाता है कि उन्होंने नारे लगाए. क्या आप असल आरोपियों की शिनाख्त कर पाए हैं. इस पर वकील कामत ने जवाब दिया कि CCTV फुटेज मिले हैं. पुलिस ने आरोपियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी की है. 


कामत ने साफ किया कि वो इस मामले में शिकायतकर्ता (मस्जिद के केअरटेकर) की ओर से पेश हो रहे हैं. जांच करना, सबूत जुटाना पुलिस का काम है. FIR में भी सिर्फ अपराध की शुरुआती जानकारी होती है, सबूतों की पूरी जानकारी नहीं. इस केस में तो जांच पूरी होने से पहले ही हाई कोर्ट ने केस रद्द कर दिया.


कोर्ट के सामने केस क्या था?


इस केस में आरोप था कि दो लोग कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के ऐथुर गांव में पिछले साल बदरिया जुम्मा मस्जिद में घुस आए और उन्होंने वहां 'जय श्री राम' के नारे लगाए. इसके साथ ही धमकी दी कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को शांति से नहीं रहने देंगे.


पुलिस ने दोनों लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद उन पर IPC की  धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) 447 (ट्रेसपास) और 506 (आपराधिक धमकी) समेत कई धाराओं  के तहत मामला दर्ज किया था. अभी जांच जारी ही थी कि आरोपियों ने राहत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया. इस साल 13 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने उन्हें राहत देते हुए मामला रद्द कर दिया.


हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि  यह समझ से परे है कि अगर कोई 'जय श्रीराम' का नारा लगाता है तो इससे किसी वर्ग की धार्मिक भावना कैसे आहत होगी.जब शिकायतकर्ता खुद कहता है कि इलाके में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के साथ रह रहे हैं तो इस घटना के चलते कोई माहौल बिगड़ेगा, इसकी संभावना नहीं है.