नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर सोमवार को यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया जिसमें केंद्र से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के कर्मचारियों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने पर शीर्ष अदालत के फैसले का तीन महीने के अंदर पालन करने को कहा गया था. हाईकोर्ट ने पिछले साल 12 नवंबर के आदेश में कहा था कि अधिकारी मामले में शीर्ष अदालत की पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य हैं जिसने एससी और एसटी समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने का रास्ता साफ किया था.


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हाईकोर्ट ने पिछले साल 26 सितंबर के संविधान पीठ के फैसले का संज्ञान लेते हुए केंद्र को तीन महीने में इस आदेश का पालन करने को कहा था. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिस पर सोमवार को न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एसए नजीर की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई जरूरी है. पीठ ने कहा, ‘‘हम आज इस पर यथास्थिति बनाकर रखना उचित समझते हैं.’’ 


इससे पहले अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हाईकोर्ट को इस तरह के आदेश पारित नहीं करने चाहिए. वेणुगोपाल ने कहा कि एससी और एसटी समुदायों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर शीर्ष अदालत फैसला करेगी लेकिन हाईकोर्ट का निर्देश केंद्र के लिए समस्या है. पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे से संबंधित कुछ अन्य याचिकाओं पर भी ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई करेगी जो पहले ही उसके समक्ष लंबित हैं.