नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर राज्य के निवासियों को विशेषाधिकार प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 35 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इस सप्ताह सुनवाई कर सकता है. सुनवाई 26 से 28 फरवरी के बीच हो सकती है और इस संवेदनशील मुद्दे पर राज्य के राजनीतिक दलों के कड़े रुख के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इसकी साप्ताहिक सूची में सुनवाई के लिए छह याचिकाएं सूचीबद्ध की गयी हैं जिनमें एनजीओ ‘वी द सिटिजन्स’ की प्रमुख याचिका भी शामिल है.


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राज्य प्रशासन ने हाल ही में शीर्ष अदालत से विभिन्न आधारों पर याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने की दरख्वास्त की थी. एक आधार यह भी दिया गया था कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है. शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर सुनवाई इस साल जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी. तब केंद्र और राज्य सरकार ने कहा था कि वहां दिसंबर तक स्थानीय निकायों के चुनाव चलेंगे. केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि अनुच्छेद 35ए का विषय बहुत संवेदनशील है और कानून व्यवस्था के पहलू को देखते हुए सुनवाई जनवरी या मार्च 2019 में की जाए.


इन सबके बीच जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को केंद्र सरकार को खुले तौर पर चेतावनी दी है. दरअसल, देशभर में चर्चाएं हैं कि केंद्र सरकार आर्टिकल 35ए को खत्म करने पर विचार कर रही है. इसी को लेकर महबूबा मुफ्ती ने केंद्र को कहा कि आग से मत खेलिए, 35ए के साथ छेड़छाड़ मत कीजिए. अगर ऐसा हुआ तो आप वो देखेंगे जो 1947 के बाद से आज कर नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर 35ए को खत्म किया गया तो, मैं नहीं जानती कि जम्मू कश्मीर के लोग मजबूर होकर तिरंगे की जगह कौन सा झंडा उठा लेंगे. 


(इनपुट भाषा से)