नई दिल्ली: वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अवमानना मामले में सजा पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट में भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने बहस टालने की मांग की. उन्होंने दलील दी कि दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ वे पुनर्विचार याचिका दायर करना चाहते हैं. कानून में भी इसके लिए 30 दिन के समय का प्रावधान है.


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दवे ने कहा कि कोई आसमान नहीं टूट जाएगा, अगर कोर्ट प्रशांत भूषण की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई का इंतजार कर लेगी. वकील ने कहा कि उनकी पुनर्विचार याचिका जजों की कोई और बेंच भी सुन सकती है. ऐसा जरूरी नहीं है कि जस्टिस अरूण मिश्रा की यही बेंच पुनर्विचार याचिका पर सुनावई करे. 


दलील सुनने के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि 'सजा पर बहस होने दीजिए. सजा सुनाए जाने के बाद हम तत्काल सजा लागू नहीं करेंगे. हम पुनर्विचार याचिका पर फैसले का इंतजार कर लेंगे. हमें लगता है कि आप मेरी बेंच को अवॉइड करना चाहते हैं.' गौरतलब है कि जस्टिस अरूण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं.


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जज अरूण मिश्रा की बेंच में शामिल दूसरे जज जस्टिस गवई ने भूषण के वकील दवे से कहा कि वकील राजीव धवन ने तो 17 अगस्त को कहा था कि पुनर्विचार याचिका तैयार है, तो फिर आपने यह याचिका दायर क्यों नहीं की? इस सवाल पर भूषण के वकील ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने का मेरा अधिकार है. ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि मैं 24 घंटे के अंदर ही पुनर्विचार याचिका दायर करूं. 


पुनर्विचार याचिका दायर करने की अवधि 30 दिन की है. दवे ने कहा कि अगर आप पुनर्विचार तक रुक जाएंगे तो आसमान नहीं गिर जाएगा. और ये बिलकुल भी जरूरी नहीं की यही बेंच पुनर्विचार याचिका सुने. इस दलील को सुनने के बाद जस्टिस गवई ने कहा कि वह सुनवाई को नहीं टालेंगे.


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