नई दिल्ली: सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामले लंबित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में वह विस्तृत आदेश जारी करेगा. केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से MP/MLA के खिलाफ आपराधिक मामले में सुनवाई में तेजी लाने को लेकर जो भी फैसला आएगा उसका वह स्वागत करेगी.


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सरकार ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा भी निर्धारित कर सकता है.


आज मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र (एमाइकस‌ क्यूरी) और  केंद्र सरकार ने कई सुझाव दिए.


तेलंगाना में 13 सिटिंग MLA के खिलाफ केस
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्रीय एजेंसियों के पास जो मामले हैं.  उसमें दो-तीन दशक से मामले लंबित हैं, सरकार क्या कर रही है?


एमाइकस‌ क्यूरी ने कहा कि विभिन्न राज्यों से मामले हैं जो केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित किए गए. तेलंगाना, मध्य प्रदेश, यूपी समेत कई राज्यों में ऐसे मामले हैं.


एमाइकस ने कहा कि कर्नाटक के भी कई माननीयों के खिलाफ मामले केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित किए गए हैं. तेलंगाना में भी 13 सिटिंग MLA के खिलाफ केस हैं.


SG तुषार मेहता ने कहा कि यह उचित है और बड़े राज्यों में विशेष अदालत कि संख्या बढ़ाई भी जा सकती है.


हालांकि एमाइकस क्यूरी ने हर जिले में एक कोर्ट बनाने का सुझाव दिया.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिन राज्यों में एक दो मामले ही लंबित है. वहां हाई कोर्ट तय करे और कोष जारी करने का जहां तक सवाल है, अदालत जैसा निर्देश करेगी केंद्र कोष जारी करेगा. कोष जारी करने का मामला हालांकि कोई मुद्दा नहीं है.


स्पेशल जज की नियुक्ति
सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया कि स्पेशल जज को नियुक्त किया जाए जो मामलों की सुनवाई करें, क्योंकि अगर राज्य में एक कोर्ट बनाए जाए गई तो मामलों पर जल्द सुनवाई नहीं हो पाएगी क्योंकि कई राज्य ऐसे हैं, जहां 300 से ज्यादा केस हैं, ऐसे में एक राज्य में एक कोर्ट बनाना काफी नहीं होगा.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में CBI, ED और दूसरी जांच एजेंसी और राज्य की एजेंसी FIR तो दर्ज करती हैं लेकिन आगे की कार्रवाई नहीं होती.


सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि वह MP/MLA  पूर्व सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मुकदमे और भ्रष्टाचार के मामलों के स्पीडी ट्रायल के लिए किसी भी आदेश का स्वागत करेगा.


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो एमपी और एमएलए के खिलाफ लंबित मामलों में मुकदमों की सुनवाई के लिए समय सीमा भी तय कर सकता है.


देशभर में पूर्व और वर्तमान MP /MLA के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की संख्या 4600 से भी अधिक है. कई मामले तो 40 साल तक पुराने हैं, वहीं कई मामलों में अभी तक आरोप तक तय नहीं हो पाए.


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