नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय में सुबह की सभा में संस्कृत और हिंदी में प्रार्थना करने के ख़िलाफ़ दायर पुरानी जनहित याचिका को सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है. संवैधानिक बेंच देखेगी कि देशभर के केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों की सुबह की सभा में गाई जाने वाली प्रार्थना क्या किसी धर्म का प्रचार तो नहीं है? 


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सुनवाई में केन्द्र सरकार की तरफ से एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि "तमसो मा ज्योतिर्गमय" जैसे संस्कृत मंत्रों का पाठ करना  सांप्रदायिक और गैर धर्मनिरपेक्ष नहीं है. इसी मामले में जमियत-उलेमा-ए-हिंद ने भी याचिका दायर कर दी ह जिसमें प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा गया है कि प्रार्थना के समय मुस्लिम बच्चों को हाथ जोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. 


यह जनहित याचिका पिछले साल दस जनवरी में सुप्रीमकोर्ट में जबलपुर मध्यप्रदेश के एक वकील ने दायर की थी जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर संवैधानिक मुद्दा मानते हुए कहा है कि इस पर विचार जरूरी है. कोर्ट ने इस सिलसिले में केंद्र सरकार और केंद्रीय विश्वविद्यालयों नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.


याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी-संस्कृत में सुबह की प्रार्थना हो रही है जो कि पूरी तरह असंवैधानिक है. इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ बताते हुए कहा है कि इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है. याचिका में दलील है कि सरकारी स्कूलों में धार्मिक मान्यताओं और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए.


केंद्रीय विद्यालय में सुबह गाई जाने वाली प्रार्थना: 


असतो मा सद्गमय 
तमसो मा ज्योतिर्गमय 
मृत्योर्मामृतं गमय 


दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना 
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना 
हमारे ध्यान में आओ प्रभु आंखों में बस जाओ 
अंधेरे दिल में आकर के प्रभु ज्योति जगा देना 
बहा दो प्रेम की गंगा दिलों में प्रेम का सागर 
हमें आपस में मिल-जुल कर प्रभु रहना सिखा देना 


हमारा धर्म हो सेवा हमारा कर्म हो सेवा 
सदा ईमान हो सेवा व सेवक जन बना देना 
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना 
वतन पर जां फिदा करना प्रभु हमको सिखा देना 
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना 


ओ३म् सहनाववतु 
सहनै भुनक्तु 
सहवीर्यं करवावहै 
तेजस्विनामवधीतमस्तु 
मा विद्विषावहै 
ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः


सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन से पूछा कि क्या हिंदी और संस्कृत में होने वाली प्रार्थना से किसी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा मिल रहा है. कोर्ट ने पूछा है कि स्कूलों में सर्वधर्म प्रार्थना क्यों नहीं कराई जा सकती है. याचिकाकर्ता विनायक शाह खुद केंद्रीय विद्यालय में पढ़े हुए हैं. याचिका के मुताबिक जब स्कूल में हर धर्म के बच्चे पढ़ने आते हैं तो किसी एक धर्म से जुड़ी प्रार्थना क्यों कराई जाती है.