Bilkis Bano Review Petition: गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप का शिकार हुई बिलकिस बानो (Bilkis Bano) को सुप्रीम कोर्ट (SC) से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुर्नविचार अर्जी खारिज कर दी है. बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट के इस साल 13 मई को दिए आदेश पर दोबारा विचार की मांग की थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के लिए 1992 में बने नियम लागू होंगे.


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'रिहाई के बारे मे फैसला गुजरात सरकार का'


इसके साथ ही इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई के बारे में फैसला लेने का अधिकार गुजरात सरकार का होगा, जहां पर ये अपराध घटित हुआ है. यहां ये बात गौर करने लायक है कि रिहाई को लेकर गुजरात सरकार की मौजूदा नीति (साल 2014 की) के मुताबिक, गैंगरेप के दोषियों की समय से पहले रिहाई नहीं हो सकती. वहीं, 1992 की नीति के मुताबिक ऐसे प्रतिबंध नहीं थे.


बिलकिस बानो की पुर्नविचार अर्जी


बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार अर्जी दायर कर कहा था कि दोषियों की रिहाई के लिए 1992 की गुजरात सरकार की नीति के बजाय महाराष्ट्र सरकार की रिहाई के नियम इस केस में लागू होने चाहिए क्योंकि इस केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को नामंजूर करते हुए पुर्नविचार अर्जी को खारिज कर दिया.


अभी उम्मीदें पूरी तरह खत्म नहीं


गौरतलब है कि पुर्नविचार अर्जी खारिज होने के बावजूद बिलकिस बानो की उम्मीदें अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं. गुजरात सरकार की ओर से दोषियों की रिहाई के खिलाफ उनकी अलग से याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. जिस पर सुनवाई होना बाकी है. पिछले दिनों जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था, लिहाजा अब ये मामला नई बेंच के सामने लगेगा.


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