Supreme Court upholds death penalty: सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रूप से अस्वस्थ और दिव्यांग साढ़े सात साल की बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या के दोषी को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह अपराध अत्यंत निंदनीय है और अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है.


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हाईकोर्ट ने 2015 में सुनाई थी सजा


जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ ने मृत्युदंड दिए जाने के राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के 29 मई, 2015 के आदेश को बरकरार रखा है.


पीठ ने कही ये बात


पीठ ने कहा कि खासकर, जब पीड़िता (मानसिक रूप से अस्वस्थ और दिव्यांग साढ़े सात साल की बच्ची) को देखा जाए, जिस तरह से पीड़िता का सिर कुचल दिया गया, जिसके कारण उसके सिर की आगे की हड्डी टूट गई और उसे कई चोटें आईं, उसे देखते हुए यह अपराध अत्यंत निंदनीय और अंतरात्मा को झकझोर देता है.


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हाईकोर्ट ने अपराध को बताया था अत्यंत दुर्लभ


बता दें कि हाई कोर्ट ने कहा था कि यह मामला अत्यंत दुर्लभ श्रेणी में आता है और उसने सत्र अदालत द्वारा इस मामले में पारित आदेश को बरकरार रखा था. उसने कहा था कि सत्र अदालत के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. अपराधी ने 17 जनवरी, 2013 को बच्ची का अपहरण किया था और उसके साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी.
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