Surat Stone Pelting: सूरत में पत्थरबाजी करके दंगे फैलाने की साजिश को पुलिस ने फेल कर दिया और पत्थरबाजों का इलाज भी. सूरत में रविवार रात गणेश पंडाल पर मुसलमान युवकों ने पथराव कर दिया, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े, जिसके बाद सारे पत्थरबाज गलियों में गायब हो गए.


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लेकिन पुलिस ने भी तय कर लिया कि एक-एक पत्थरबाज को पकड़कर उनका इलाज किया जाएगा. तो पुलिस ने पहले घरों से पत्थरबाजों को पकड़-पकड़कर निकाला और फिर उनका ऐसा इलाज किया कि जो रात में पत्थर चला रहे थे, वो सुबह लंगड़ाते हुए चल रहे थे.


गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा, शहर के लोग जब सूरज की पहली किरण के दर्शन कर रहे होंगे. उससे पहले गणपति जी के पंडाल पर पत्थर फेंकने वाले और उन्हें बहकाने वाले सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. जो रात में कूद-कूदकर पत्थर चला रहे थे...सुबह होते-होते पैरों पर चल नहीं पा रहे थे. जो रात में पुलिस से टकरा रहे थे..सुबह होते-होते लंगड़ा रहे थे. जो रात में तोड़-फोड़ मचा रहे थे...सुबह होते होते उनकी हिम्मत टूट चुकी थी.


सुबह हुई और पत्थरबाजों की हो गई ऐसी हालत


रात में गणेश उत्सव पंडाल पर पत्थर चलाने वालों और उन्हें उकसाने वालों ने सोचा भी नहीं होगा कि सूरज की पहली किरण के साथ उनकी ये हालत हो जाएगी.



सूरत के पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने कहा, 'माहौल खराब करने की कोशिश की गई.बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.मुस्लिम समाज के लोग भी वहां पहुंचे. पत्थरबाजी शुरू हुई..पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू किया.हमने मामले को नियंत्रित किया.अब तक 28 आरोपियों को डिटेन किया है.


गणेश उत्सव पर पत्थरबाजी करने वालों ने सोचा होगा कि वो पत्थरबाजी करके गायब हो जाएंगे और कोई पहचान भी नहीं पाएगा.


रात में ऑपरेशन लॉन्च, ढूंढ-ढूंढकर घरों से निकाला


लेकिन सूरत पुलिस ने पत्थरबाजों का इलाज करने के लिए रात में ही ऑपरेशन लॉन्च किया. पत्थरबाजों को घरों से ढूंढ-ढूंढकर निकाला, तब पत्थरबाज दोनों पैरों पर सीधा चल रहे थे.


लेकिन सूरज की पहली किरण से पहले ही उनके सिर से पत्थरबाजी का भूत उतारा जा चुका था..जिसके लक्षण उनकी चाल ढाल में साफ दिख रहे थे.


सोची-समझी साजिश के साथ हुई पत्थरबाजी


सूरत में गणेश पंडाल पर पत्थरबाजी एक सोची-समझी साजिश के साथ हुई थी, जिसमें नाबालिग लड़कों को पत्थरबाजी के लिए उकसाया गया था..खुलासा हुआ है कि गणेश पंडाल पर पथराव करने वाले नाबालिग एक किलोमीटर दूर से आए थे. इन नाबालिग लड़कों को पत्थरबाजी करने के लिए समझा-बुझाकर भेजा गया था.


पत्थरबाजी करने वाले नाबालिगों की उम्र 12 से 13 साल के आसपास है. पुलिस ने पत्थरबाजी करने वाले नाबालिगों को तो पकड़ा ही, उनको पत्थर थमाने वालों का भी रात में ही ऐसा पक्का इलाज कर दिया कि अब इनमें से कोई भी पत्थर चलाना तो दूर हाथ में पकड़ने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाएगा.


पत्थरबाजों का बुलडोजर से भी किया इलाज


सूरत में गणेश पंडाल पर पत्थरबाजी कोई पहली घटना नहीं है. हिंदू यात्राओं और पंडालों पर पत्थरबाजी अब एक ट्रेंड बन चुका है. एक खास समुदाय को पत्थरबाजी की बीमारी लग चुकी है. और इस बीमारी को फैलने से रोकने का सिर्फ एक ही उपाय है जल्द से जल्द इलाज. सूरत पुलिस ने यही किया है.


इतना ही नहीं सूरत में पत्थरबाजों का बुलडोजर से भी इलाज किया गया.आरोपियों के अवैध निर्माणों को बुलडोजर से गिराया गया.खासकर उस जगह पर जिस जगह पर पत्थरबाजी हुई थी,उस सैयदपुरा इलाके में अवैध निर्माण को गिराया गया.